जमीन लूटा, नौकरी लूटी, बर्दाश्त की भी एक सीमा होती है, अब तो मिट्टी मांगे खून- लोबिन हेम्ब्रम

 मिट्टी मांगे खून- लोबिन हेम्ब्रम

Ranchi- मिट्टी मांगे खून- लोबिन हेम्ब्रम- झारखंडी है हम, यह मिट्टी हमारी है, जो डरेगा वो मरेगा, जब मरना ही है तो इस मिट्टी के लिए मरना सीखो. इन बाहरियों ने हमारी जमीन लूटा, नौकरी लूटी, बर्दाश्त की भी एक सीमा होती है, अब एक ही उपाय है मिट्टी मांगे खून.

उक्त बातें 1932 के खतियान को आधार बना कर नियोजन नीति मांग की वकालत करने वाले झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कही है. विधान सभा आवास में पत्रकारों से संबोधित करते हुए  लोबिन हेम्ब्रम का शब्द बेहद आक्रामक था, लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि माड़-भात और सतू खाकर हमने आंदोलन की, जेल गया, लाठियां खायी, लेकिन आज हम अपने मुद्दे से भटक रहे हैं.

हमारे ही लोगों को दलाल बनाया जा रहा है. चारो तरफ हमारे जमीन की लूट हो रही है. हमारी नौकरियां खायी जा रही है. बीआईटी मेसरा से लेकर एचईसी तक किसकी जमीने गयी. हमें हमारी ही जमीन से बेदखल किया जा रहा है. यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

जेएमएम विधायक होते भी सरकार के स्टैन्ड से अलग जाकर 1932 के खतियान के आधार पर  नियोजन नीति बनाने की मांग पर अड़े लोबिन हेम्ब्रम ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी सभाओं में जेएमएम का बैनर का इस्तेमाल करने की खबरें झूठी है.

हमने जेएमएम के बैनर का इस्तेमाल नहीं किया. यहां तक की हमने अपनी सभाओं में झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन की तस्वीर का भी इस्तेमाल नहीं किया है. यह केवल एक आंदोलन है और आंदोलन ही रहेगा.

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