गिरिडीह लोकसभा में इन उम्मीदवारों के बीच होगा कड़ा मुकाबला, क्या जयराम महतो पड़ेंगे सब पर भारी ?

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झारखंड की 14 लोकसभा सीट में 1 सीट गिरिडीह लोकसभा भी है. आज हम बात करेंगे गिरिडीह लोकसभा सीट की. गिरिडीह लोकसभा वैसे भाजपा का गढ़ रहा है यहां से भाजपा ने 6 बार जीत हासिल की है और एक बार एनडीए एलायंस की पार्टी आजसू ने जीत हासिल की है. वहीं कांग्रेस ने 5 बार जीत हासिल की है. वहीं इस सीट पर 2 बार झामुमो ने भी कब्जा किया है.

लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह में समीकरण बदलने के आसार है. इस बार गिरिडीह में यूथ सेंसेशन जयराम महतो का भी चेहरा सामने आ सकता है. जयराम गिरिडीह की राजनीति की तस्वीर बदल सकते हैं.

जयराम महतो साल 2022 में झारखंड की जनता के सामने आए और भाषा आंदोलन की अध्यक्षता की. इसके बाद जयराम ने झारखंड के युवाओं के बीच अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल की है. जयराम झारखंड में स्थानीयता, नियोजन, भाषा जैसे मुद्दों को प्रखरता से उठाते रहे हैं. और इस चुनाव में जयराम गिरिडीह लोकसभा से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं.

हालांकि अब तक भाजपा और महागठबंधन ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है.

बता दें गिरिडीह लोकसभा के अंतर्गत राज्य के तीन जिलें आते  हैं. बोकारो, धनबाद और गिरीडीह . गिरिडीह  लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें 2 गिरीडीह से दो विधानसभा की सीटें डुमरी और गिरिडीह हैं वहीं धनबाद से दो विधानसभा सीटें टुंडी और बाघमारा हैं. और बोकारो से दो विधानसभा सीटें गोमिया और बेरमो.

जहां डुमरी से झामुमो विधायक बेबी देवी है. टुंडी से झामुमो विधायक मथुरा महतो हैं, गोमिया में आजसू से लंबोदर महतो विधायक हैं. बेरमो में कांग्रेस के कुमार जयमंगल विधायक हैं. वहीं बाघमारा से भाजपा के विधायक ढुल्लू महतो है.

विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले लोकसभा में बीते कई टर्म से भाजपा सबसे मजबूत स्थिति में है.

हालांकि 2019 के चुनाव में यह सीट एनडीए गठबंधन की पार्टी आजसू की झोली में चली गई थी और यहां से आजसू उम्मीदवार चंद्र प्रकाश चौधरी की जीत हुई थी.

2024 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा सीट से दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. इस सीट पर अब तक किसी भी पार्टी की ओर से प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई है लेकिन उम्मीदवार को लेकर कयासों के बाजार काफी गर्म हैं.

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भाजपा के तरफ से यहां एक बार फिर आजसू को मौका मिल सकता है वहीं झामुमो में भी प्रत्याशी को लेकर विचार विमर्श किया जा रहा है. झामुमो की ओर से बीते दिनों टुंडी विधायक मथुरा महतो का नाम सामने आ रहा था वहीं कल्पना सोरेन को लेकर भी कहा जा रहा है कि कल्पना गिरिडीह से लोकसभा का चुनाव लड़ सकती हैं. बता दें कल्पना सोरेन ने अपनी सियासी जीवन की शुरुआत गिरिडीह से की , उसके बाद से इसकी चर्चा तेज हो गई थी.

गिरिडीह लोकसभा सबसे ज्यादा चर्चा में तब आया जब जेबीकेएसएस के केंद्रीय अध्यक्ष और यूथ सेंसेशन जयराम महतो ने यहां से लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी.

2024 लोकसभा चुनाव में गिरिडीह के लिए जयराम महतो फैक्टर हो सकते हैं. जयराम महतो पिछले कुछ समय से झारखंड के युवाओं का पसंदीदा चेहरा बन चुके हैं. झारखंड के कई मुद्दों को जयराम महतो ने उठाया है और यूथ खासकर विद्यार्थियों के बीच अपनी पकड़ मजबूत की है.

अब गिरिडीह लोकसभा सीट की इतिहास पर एक नजर डालें तो

1952 में कांग्रेस ने यहां ने यहां से जीत हासिल की और नागेश्वर प्रसाद सिन्हा यहां से पहले सांसद बने.

गिरिडीह में 1957 में दूसरी बार लोकसभा का चुनाव हुआ, छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी से काजी एस ए मतीन सांसद बने.

1962 के लोकसभा चुनाव में स्वतंत्र पार्टी से बटेश्वर सिंह ने इस सीट पर कब्जा किया.

वहीं 1967 में इम्तेयाज अहमद ने कांग्रेस के टिकट से जीत हासिल की.

इसके बाद 1971 में एक बार फिर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया और चपलेंदु भट्टाचार्य यहां से दिल्ली पहुंचे .

1977 में कांग्रेस के हाथ से गिरिडीह सीट निकल गई और जनता पार्टी से रामदास सिंह ने इस सीट पर कब्जा किया.

1980 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर गिरिडीह में वापसी की बिंदेश्वरी दुबे यहां से सांसद बने.

जिसके बाद 1984 में कांग्रेस ने सरफराज अहमद को टिकट दिया और सरफराज अहमद ने कांग्रेस की जीत बरकरार रखी.

साल 1989 में गिरिडीह में भारतीय जनता ने अपनी पहली जीत दर्ज की. और भाजपा से रामदास सिंह सांसद बने.

लेकिन अगले ही चुनाव में भाजपा की जीत का क्रम टूटा . और 1991 में गिरिडीह में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपना झंडा लहराया, झामुमो के कद्दावर नेता बिनोद बिहारी महतो सांसद बने.

इसके बाद लगातार तीन टर्म गिरिडीह में भाजपा ने ही राज किया. 1996,1998 और 1999 में भाजपा के रवींद्र कुमार पांडे ने जीत हासिल की.

झामुमो ने 2004 के चुनाव में भाजपा का विजय रथ रोक दिया. 2004 में झामुमो से टेक लाल महतो ने दिल्ली में गिरिडीह का प्रतिनिधित्व किया.

वहीं 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने गिरिडीह में वापसी की और लगातार दोनों बार रवींद्र कुमार पांडे ने यहां से जीत हासिल की.

हालांकि 2019 में भी गिरिडीह सीट एनडीए गठबंधन के पास ही रही लेकिन इस बार यह सीट आजसू के झोली में गई और चंद्र प्रकाश चौधरी यहां से सांसद बने.

अब 2024 के चुनाव में गिरिडीह से जनता किसे पसंद करती है और किसे अपना सांसद चुनती है ये आने वाले समय में ही पता चल पाएगा.

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