मंदबुद्धि बच्चों को दिया जाता है थर्ड डिग्री ट्रीटमेंट, एक बच्ची की मौत


DHANBAD: के झरिया स्थित बस्ताकोला में एक जीवन नाम की संस्था है जो मंदबुद्धि, मूक बधिर बच्चों के इलाज और शिक्षा देने के लिए हैं.

लेकिन यह जीवन संस्था हमेशा विवादो में रहता हैं. जीवन की एक बच्ची बौद्धिक रुप दिव्यांग

17 वर्षीय गौरी कुमारी की शुक्रवार 15 जुलाई को रहस्मय मौत हो गई.
उसके मुंह और नाक से खून निकल रहे थे. इसपर बाल कल्याण समिति ने जीवन के संस्थापक एके सिंह से पूरी रिपोर्ट मांगी है.

बाल कल्याण समिति को अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार हैं.

मंदबुद्धि बच्चों को दिया जाता है थर्ड डिग्री ट्रीटमेंट :

बेरहमी से की पिटाई और आयरन से बच्चे को जलाया

वहीं शनिवार 16 जुलाई को एक बच्चे की बेरहमी से पिटाई करने और

गर्म आयरन से जलाने का मामला सामने आया हैं.

घायल बच्चे का नाम बादल पाठक है जो आसनसोल का रहने वाला है.

मामले का पता तब चला जब बादल के पिता बिपिन पाठक अपने बेटे को देखने जीवन संस्था पहुंचे.

तब बेटे ने रो – रो कर अपने पिता को आपबीती सुनाई.

बादल के शरीर पर करीब पचास डंडे का चोट उभरा हुआ था साथ ही कान के समीप और पैर में जले होने का निशान है.

बादल ने अपने तोतली आवाज से और इशारे से पूरी घटना बताई.

जिसके बाद बादल के पिता बिपिन पाठक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके बेटे को

बेरहमी से जीवन के एके सिंह और उसके भाई और बेटी के द्वारा एक रूम में बंदकर पीटा गया है

जिससे बच्चे को कई जगह गंभीर चोट आई है.

पहले भी बच्चे की पिटाई का मामला आया सामने

जीवन संस्था में इससे पहले भी बच्चे को मारने का मामला सामने आया है. जीवन संस्था के

प्रिंसिपल एके सिंह ने बच्ची की मौत का कारण ब्रेन हैम्ब्रेज बताया है.

उन्होंने कहा कि एनएमएमसीएच अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई. वहीं दूसरे बच्चे की पिटाई

के मामले में कहा कि ऐसे बच्चों को ट्रीटमेंट के लिए पीटा जाता है रूम में बंद कर पिटाई की बात भी उन्होंने कबूला है.

पूरे मामले को लेकर धनबाद समाज कल्याण पदाधिकारी स्नेहा कश्यप ने कहा कि

मामले की शिकायत हम तक नहीं आई है

शिकायत मिलने पर जांच पड़ताल कर कार्रवाई की जाएगी. लेकिन सवाल उठता है कि परिजन मंदबुद्धि बच्चे,

दिव्यांग बच्चे, या मूक- बधिर बच्चे को ऐसी संस्था में इसलिए भेजते हैं

ताकि वह पहले से बेहतर हो और उसमें समझ बढ़े.

और अपने पैर पर खड़ा हो सके. लेकिन इस थर्ड डिग्री ट्रीटमेंट

से संस्था की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

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