जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल अंतर्गत डुमरिया इलाके में इन दिनों बाघ की दहशत सिर चढ़कर बोल रही है। बीते एक सप्ताह के भीतर गांव के कई इलाकों में मवेशियों के शिकार की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे ग्रामीणों में भय और बेचैनी का माहौल है। गांववालों ने वन विभाग से इलाके में तत्काल सुरक्षा उपाय करने और बाघ को पकड़ने की मांग उठाई है।
पगमार्क और सीसीटीवी फुटेज से हुई पुष्टि
वन विभाग की टीम ने बीते दिनों डुमरिया और आसपास के जंगलों में गश्त के दौरान बाघ के ताजे पगमार्क पाए हैं। इसके अलावा, विभाग द्वारा लगाए गए सीसीटीवी कैमरों में भी बाघ की स्पष्ट तस्वीरें कैद हुई हैं। वन प्रमंडल पदाधिकारी (DFO) ने मीडिया को बताया कि इन सबूतों के आधार पर इलाके में बाघ की मौजूदगी की पुष्टि हो चुकी है। विभाग ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बाघ को सुरक्षित पकड़ने के लिए रांची से विशेषज्ञों की टीम को बुलाने का फैसला लिया है।
ग्रामीणों ने मांगी सुरक्षा, पिंजरा लगाने और कैमरे बढ़ाने की मांग
डुमरिया के ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों से इलाके में पिंजरा (ट्रैप केज) लगाने की मांग की है ताकि बाघ को जिंदा पकड़ा जा सके। साथ ही उन्होंने जंगल के अंदर और गांवों की सीमा पर और ज्यादा ट्रैप कैमरे लगाने की मांग भी की है ताकि बाघ की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि बाघ अब गांव के नजदीक पहुंच चुका है और मवेशियों के साथ-साथ इंसानों की जान को भी खतरा बढ़ता जा रहा है।
विशेषज्ञ टीम आएगी रांची से, चलेगा रेस्क्यू ऑपरेशन
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघ को पकड़ने और उसे सुरक्षित जंगल में शिफ्ट करने के लिए जल्द ही रांची से प्रशिक्षित विशेषज्ञों की टीम डुमरिया पहुंचेगी। यह टीम ट्रैंकुलाइजर गन और अन्य उपकरणों के साथ आएगी और इलाके में विशेष रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि बाघ को नुकसान पहुंचाए बिना उसे पकड़ना विभाग की प्राथमिकता है।
इलाके में बढ़ाई गई गश्ती, ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील
फिलहाल वन विभाग ने डुमरिया इलाके में गश्ती दलों की संख्या बढ़ा दी है। ग्रामीणों को विशेष रूप से रात के समय सतर्क रहने और अकेले जंगल की ओर न जाने की सलाह दी गई है। विभाग ने चेतावनी दी है कि बाघ की गतिविधि अभी भी सक्रिय है, लिहाजा किसी भी प्रकार की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इलाके के स्कूलों और पंचायत भवनों में भी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि लोग सतर्क रहें और वन्यजीवों के साथ संघर्ष की घटनाएं रोकी जा सकें।
बाघ का इलाका बदलना चिंता का विषय
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघ का मानव बस्तियों की ओर आना पारिस्थितिक असंतुलन और जंगलों में घटते शिकार की ओर इशारा करता है। यह घटना सिर्फ डुमरिया ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड के वन क्षेत्रों के लिए चेतावनी है कि जंगलों के भीतर बाघों के लिए सुरक्षित और पर्याप्त आवास तैयार किया जाए।