रांची. भारत में नवजात शिशुओं की हत्याओं और असुरक्षित परित्याग को रोकने के लिए केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने इस मुद्दे को नीति निर्माण में शामिल करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि यह एक अत्यंत गंभीर विषय है, और वह इसे आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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दरअसल, सोमवार को रांची स्थित अपने केंद्रीय कार्यालय में केंद्रीय मंत्री सेठ ने पालोना अभियान की संस्थापक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोनिका गुंजन आर्य और आश्रयणी फाउंडेशन के कोषाध्यक्ष प्रोजेश दास से मुलाकात की। इस दौरान पालोना टीम ने उन्हें एक विशेष रिपोर्ट सौंपी, जिसमें नवजात हत्या और असुरक्षित परित्याग की भयावह स्थिति को उजागर किया गया है।
इन्फेंट प्रोटेक्शन एक्ट को विकसित भारत 2047 में शामिल करने की प्रतिबद्धता
बैठक में ‘इन्फेंट प्रोटेक्शन एक्ट’ की आवश्यकता और शिशु सुरक्षा से जुड़े पारिवारिक-सामाजिक-आर्थिक कारकों पर विस्तार से चर्चा हुई। केंद्रीय मंत्री ने भरोसा दिलाया कि वे इस विषय को सरकार तक पहुंचाने और नीति निर्माण में शामिल करने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। उन्होंने ‘इन्फेंट प्रोटेक्शन एक्ट’ को विकसित भारत 2047 के एजेंडे में शामिल करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
पालोना अभियान की प्रतिक्रिया
पालोना अभियान की संस्थापक मोनिका गुंजन आर्य ने कहा, “यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण क्षण है कि केंद्रीय स्तर पर इस विषय को गंभीरता से लिया जा रहा है। हमें उम्मीद है कि श्री संजय सेठ जी की प्रतिबद्धता से नवजात सुरक्षा के लिए ठोस नीति और कानून बनने की दिशा में प्रगति होगी।”
वहीं आश्रयणी फाउंडेशन के कोषाध्यक्ष प्रोजेश दास ने कहा, “यह विषय भारत के भविष्य से जुड़ा हुआ है। हम चाहते हैं कि सरकार इसे प्राथमिकता देकर नवजातों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।”
मालूम हो कि आश्रयणी फाउंडेशन द्वारा समर्थित पालोना अभियान देश में नवजात शिशुओं की हत्याओं और असुरक्षित परित्याग की रोकथाम पर काम करने वाला अपनी तरह का पहला अभियान है। यह अभियान साल 2015 से काम कर रहा है और शिशु हत्या और असुरक्षित परित्याग से संबंधित देश भर का डेटा कलेक्ट करता है।
आगे की कार्ययोजना
बैठक सकारात्मक रही और आगामी कार्ययोजना पर चर्चा के साथ समाप्त हुई। इस प्रयास से यह उम्मीद बंधी है कि नवजातों की सुरक्षा के लिए जल्द ही ठोस कदम उठाए जाएंगे।