Rohtas-सजुमा सासाराम में एक बंदरिया का अपने घायल बच्चे के साथ एक निजी क्लीनिक में पहुंचना चर्चा का विषय बना हुआ है. बताया जा रहा है कि हकीम एस. एम. अहमद रोजना की तरह अपने क्लीनिक में बैठकर मरीजों का इलाज कर रहे थें. इसी बीच वह बंदरिया अपने घायल बच्चे को लेकर पहुंची. उस वक्त क्लीनिक में काफी संख्या में मरीजों की लाइन लगी थी, बंदरिया भी उसी लाइन में लग गयी.
एक बंदरिया को अपने बीच में देखकर जब लोग इधर-उधर भागने लगे, तब बंदरिया अपने बच्चे को साथ लेकर सीधे हकीम साहब के चेम्बर में चली गयी, उसके बाद वह चुप चाप खड़ी हो गयी. एक बंदर को सामने खड़ा देखकर हकीम साहब भी अंचभित रह गये. उसके बाद हकीम साहब को यह एहसास हुआ कि बंदरिया और उसका बच्चा घायल है. उसे इलाज की जरुरत है. फिर वह हिम्मत कर बंदरिया के पास पहुंचे. उसे मरीज के बेड पर लिटाया और इलाज शुरु किया.
कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी बंदरिया, शायद इलाज करने की गुहार लगा रही थी
डॉक्टर एस. एम. अहमद ने बताया कि बंदरिया जंगल से भटक कर शहर में आ गयी थी, जहां बच्चों ने कौतूहल वश उस पर पत्थर चलाये थें, वह और उसका नन्हा बच्चा बुरी तरह घायल था. कुछ देर तक क्लीनिक में बैठकर मेरी ओर घूरती रही. वह कुछ बोलने की कोशिश भी कर रही थी, लेकिन उसकी भाषा मेरी समझ में नहीं आ रही थी, खैर, उसका इलाज शुरु किया गया. इलाज के बाद भी वह कुछ बोलना चाह रही थी. कुछ इशारा कर रही थी, शायद धन्यवाद दे रही थी. हकीम साहब कहते हैं कि यह मेरा सौभाग्य था कि मुझे उसका इलाज का अवसर मिला. अल्हाताला उसे स्वास्थ्य कर दें.