Mandar Assembly Seat : शिल्पी और सन्नी में किसका पलड़ा रहेगा भारी, क्या बीजेपी की हो पाएगी वापसी…

Mandar Assembly Seat : शिल्पी और सन्नी में किसका पलड़ा रहेगा भारी, क्या बीजेपी की हो पाएगी वापसी...

Mandar Assembly Seat

Ranchi : मांडर विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित है। इस सीट कांग्रेस की परंपरागत सीटों में से एक रही है। यहां पर कांग्रेस का शुरुआत से ही दबदबा रहा है। मांडर विधानसभा सीट से करमचंद भगत तीन बार 1977, 1980 व 1990 विधायक रह चुके हैं वहीं बंधु तिर्की साल 2005, 2009 एवं 2019 में तीन बार विधानसभा पहुंच चुके हैं। हालांकि इस सीट पर ज्यादा समय तक कांग्रेस की है पकड़ रही है।

Mandar Assembly Seat : तीन बार बंधु तिर्की और तीन बार करमचंद भगत

अगर बात करें पिछले चुनाव की तो 2019 में यहां विधानसभा चुनाव में बंधु तिर्की ने झाविमों के सिंबल पर चुनाव लड़ा और बीजेपी के देवकुमार धान को  21 हजार से भी ज्यादा वोटों से हराकर हराकर विधानसभा पहुंचे। इस चुनाव में बंधु तिर्की को 92491 वोट मिले थे वहीं बीजेपी के देवकुमार धान को 69364 वोट मिले थे।

हालांकि आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बंधु तिर्की को 3 साल की सजा सुना दी। इसके साथ ही उनकी विधायकी भी चली गई। जिसके बाद साल 2022 में मांडर में उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस के टिकट पर बंधु तिर्की की बेटी शिल्पा नेहा तिर्की ने बीजेपी प्रत्याशी गंगोत्री कुजूर को 24000 हजार के भारी भरकम अंतर से हराया था। शिल्पी नेहा तिर्की को कुल 95486 वोट मिले थे वहीं बीजेपी की गंगोत्री कुजूर को 71776 वोट मिले थे।

2014 में पहली बार गंगोत्री कुजूर ने दिलाई भाजपा को जीत

2014 में हुए चुनाव में बीजेपी की गंगोत्री कुजूर ने सबको चौंकाते हुए पहली बार मांडर सीट से जीत दिलाई। गंगोत्री कुजूर ने टीएमसी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे बंधु तिर्की को 8 हजार से भी ज्यादा वोटों से हरा दिया। आजादी के बाद से ही यह पहला मौका था जब गंगोत्री कुजूर ने बीजेपी को मांडर सीट से जीत दिलाई थी। इससे पहले 1952 से अबतक एक बार भी बीजेपी को यहां से जीत नसीब नहीं हुई थी पर मोदी लहर का ही नतीजा था कि गंगोत्री कुजूर ने यहां से जीत हासिल कर पहली बार विधानसभा पहुंची।

वहीं अगर इस बार हुए लोकसभा चुनाव की बात करें तो लोहरदगा लोकसभा सीट से इस बार कांग्रेस से सुखदेव भगत मैदान में थे तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने समीर उरांव को मैदान में उतारा था। कांग्रेस के सुखदेव भगत ने इस सीट से जीत का परचम लहराया और पहली बार संसद पहुंचे। मांडर विधानसभा सीट से भी सुखदेव भगत को सबसे ज्यादा 131383 वोट मिले वहीं समीर उरांव को 82466 वोट मिले थे।

क्या इस बार हार का सिलसिला तोड़ पाएगी बीजेपी

हालांकि इस बार जो समीकरण बन रहे हैं उसके मुताबिक इस बार भी बंधु की बेटी शिल्पी नेहा तिर्की का पलड़ा भारी लग रहा है। हालांकि इस सीट से इस बार बीजेपी ने नए चेहरे को मौका देते हुए सन्नी टोप्पो को मैदान में उतारा है। शिल्पी नेहा तिर्की को पिता के तजूर्बेदार राजनीति की फायदा मिलेगा वहीं सन्नी टोप्पो को मोदी लहर का फायदा मिल सकता है। हालांकि अगर आंकड़ों पर बात करें तो आजादी के बाद से ही यहां पर हमेशा से कांग्रेस का दबदबा रहा है। आजादी के बाद से बीजेपी सिर्फ एक बार ही जीत दर्ज कर पाई है। हालांकि इस बार पलटवार होने की भी आशंका है।

 

 

 

 

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