आज हम झारखंड की कोयला नगरी यानी धनबाद सीट की बात करेंगे. धनबाद को देश की कोयला राजधानी भी कहा जाता है और धनबाद खदानों के लिए विश्व प्रसिद्ध है. धनबाद लोकसभा के अंतर्गत धनबाद और बोकारो जिला के क्षेत्र आते हैं.
धनबाद लोकसभा में 1991 से 2019 तक जनता की पसंद भाजपा रही है. इस बीच 2004 में एक बार कांग्रेस ने भाजपा की जीत को रोका था.
धनबाद लोकसभा में विधानसभा की 6 सीटें आती है और इनपर भी भाजपा का ही दबदबा दिखता है. 6 सीटों मे से 5 पर भाजपा का कब्जा है और सिर्फ 1 सीट कांग्रेस के पास है. धनबाद के राजनीतिक इतिहास को देखें तो भाजपा के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना अन्य पार्टियों के अपेक्षा ज्यादा आसान रहा है. हालांकि इस बार भाजपा ने धनबाद से अपना प्रत्याशी बदल दिया है. भाजपा ने 2024 के चुनाव के लिए बीते तीन टर्म के सांसद पशुपतिनाथ सिंह का टिकट काटकर बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो पर भरोसा जताया है.
ढुल्लू महतो लंबे समय से राजनीति से जुड़े हैं. ढुल्लू महतो 2009 से बाघमारा विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. यानी बाघमारा विधानसभा में वो जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. हालांकि 2009 के विधानसभा चुनाव में ढुल्लू ने बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा से जीत हासिल की थी. लेकिन 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में ढुल्लू महतो ने भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे.
हालांकि ढुल्लू जिस बाघमारा सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं और जनता के बीच अपनी पकड़ बना चुके हैं वह बाघमारा विधानसभा सीट धनबाद लोकसभा में नहीं बल्कि गिरिडीह लोकसभा के अंतर्गत आती है. अब ढुल्लू महतो की जनता क बीच ये पकड़ उन्हें संसद तक पहुंचा पाती है या नहीं ये तो चुनावी नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा.
धनबाद लोकसभा में भाजपा ने अपना प्रत्याशी ढुल्लू महतो को तो बना दिया है लेकिन ढुल्लू महतो के खिलाफ मैदान में कौन होगा ये अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. कांग्रेस ने बुधवार को देर शाम तीन लोकसभा सीट लोहरदगा, खूंटी और हजारीबाग के लिए प्रत्याशी की घोषणा कर दी है लेकिन धनबाद में उम्मीदवार कौन होगा इसकी स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं है.
2019 के चुनाव में भाजपा के पशुपतिनाथ सिंह के खिलाफ कांग्रेस ने 1983 world cup champion भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य रहे कीर्ति आजाद को मैदान में उतारा था. लेकिन मुकाबला जीत पाने में कीर्ति आजाद असफल रहे. भाजपा के पीएन सिंह ने कीर्ति आजाद को 4 लाख 86 हजार 196 वोटों से शिकस्त दी. अब धनबाद में कांग्रेस किसे मौका देगी ये कांग्रेस के लिस्ट जारी होने के बाद ही पता चल पाएगा.
धनबाद लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा की सीटें आती है जिसमें बोकारो, चंदनक्यारी, सिंदरी, निरसा, धनबाद और झरिया की सीटें शामिल है. इन 6 में से 5 सीट पर भाजपा का कब्जा है और सिर्फ 1 सीट झरिया कांग्रेस के पास है और यहां से पूर्णिमा नीरज सिंह विधायक हैं.
बाकी 5 सीटों में भाजपा का कब्जा है जिसमें बोकारो से बिरंची नारायण, चंदनक्यारी से अमर कुमार बाउरी , सिंदरी से इंद्रजीत महतो , निरसा से अपर्णा सेनगुप्ता, और धनबाद से राज सिंहा विधायक हैं.
धनबाद लोकसभा सीट के इतिहास पर एक नजर डालें तो यहां 7 बार भाजपा ने कब्जा किया, वहीं 6 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है.
धनबाद में 1952 में पहली बार चुनाव हुए थे. और पहले चुनाव में ही कांग्रेस ने यहां परचम लहराया. पीसी बोस कांग्रेस से सांसद बने थे.
जिसके बाद अगले 2 चुनाव में भी कांग्रेस ने यहां से अपना झंडा लहराया. 1957 के चुनाव में भी पीसी बोस ने कांग्रेस के टिकट से जीत हासिल की.
वहीं 1962 में पीआर चक्रवर्ती ने कांग्रेस के टिकट से जीत हासिल की.
1967 के चुनाव में धनबाद में स्वतंत्र उम्मीदवार रानी ललिता राज्य लक्ष्मी ने चुनाव जीता.
1971 के लेकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से वापसी की और राम नारायण शर्मा यहां से सांसद बने.
1977 में यह सीट माक्सवादी समन्वय समिति के पास गई और एके रॉय दिल्ली पहुंचे.
1980 के लोकसभा चुनाव में एके रॉय ने एक बार फिर से परचम लहराया और धनबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता. एके रॉय ने माक्सवादी समन्वय समिति की टिकट से जीत दर्ज की.
जिसके बाद 1984 में कांग्रेस से शंकर दयाल सिंह धनबाद से सांसद बने.
1989 के चुनाव में एके रॉय ने एक बार फिर धनबाद में जीत हासिल की. इस बार एके रॉय सीपीआईएम के टिकट पर चुनाव जीते.
1991 के लोकसभा चुनाव में धनबाद संसदीय सीट से भाजपा की जीत का सिलसिला शुरु हुआ. और रीता वर्मा सांसद बनी.
जिसके बाद लगातार तीन चुनावों 1996,1998 और 1999 में रीता वर्मा ने भाजपा का कमल खिलाया.
वहीं 2004 में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की और चंद्रशेखर दुबे दिल्ली पहुंचे.
जिसके बाद 2009 ,2014,2019 में पशुपतिनाथ सिंह ने भाजपा के टिकट से जीत की हैट्रिक लगाई.
1991 से 2019 तक के 8 बार हुए लोकसभा चुनाव में धनबाद सीट पर भाजपा ने 7 बार जीत हासिल की है.
अब सवाल यह उठता है कि ढुल्लू महतो 2024 के चुनाव में भाजपा की जीत का सिलसिला बरकरार रख पाएंगे या इस बार सीट किसी अन्य के खाते में जाएगी.