Ranchi- झारखंड में जारी भाषा विवाद के बीच भोजपुरी, अंगिका, मैथिली और मगही एकता मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने इन भाषाओं के लिए अलग राज्य की मांग की है.
कैलाश यादव ने कहा है कि यदि भोजपुरी, अंगिका, मैथिली भाषा से किसी को कोई परेशानी है तो हमारे लिए अलग राज्य ही बना दिया जाय. झारखंड में इन भाषाओं को बोलने वालों की आबादी डेढ़ करोड़ की है, भोजपुरी, मगही भाषा भाषी झारखंड में अपनी उपेक्षा बर्दास्त नहीं कर सकते. हमारे सम्मान को ठेस पहुंचाया गया तो हम भी चुप नहीं बैठेंगे. सिर्फ झारखंडी भाषाओं को लागू करने की बात करना असंवैधानिक है. देश और राज्य संविधान के आधार पर चलता है, हम सभी यहां के नागरिक हैं, जब हमारे पूर्वज यहां बसे हुए हैं तो फिर हम बाहरी कैसे हो गए.
झारखंड राज्य की स्थापना 2000 में हुई है, स्थानीयता का आधार भी यही होना चाहिए. जब देश को दो टुकड़े कर भारत पाकिस्तान को आजादी मिली तो जो जहां रहा उसे वहीं की नागरिकता दी गई, उसी पैमाने पर झारखंड में भी भाषा विवाद का समाधान होना चाहिए. आज भी भारत में हर धर्म और जाति के लोग रह रहें है, तो फिर झारखंड में रहने वाले लोग अलग-अलग कैसे हो सकते हैं. लेकिन यदि किसी को हमारी भाषा से परेशानी है तो इन भाषाओं को बोलने वालों के लिए एक अलग राज्य का निर्माण कर दिया जाय और हमें अमन शांति से रहने दिया जाए.
झारखंड के हालात एक बार फिर से 2002 के जैसे होते जा रहे हैं. जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने डोमिसाइल की बात कर पूरे झारखंड को आग में झोंक दिया था. आज फिर से उन्ही परिस्थितियों को पैदा करने की कोशिश की जा रही है. हमारी कोशिश तो इस आग से बचने की है. हमारी जरुरत रोजगार के मुद्दे पर संघर्ष करने की है, राज्य को विकास की ओर ले जाने की है. लेकिन झारखंड का विकास डेढ़ करोड़ भोजपुरी, मगही, अंगिका और मैथिली भाषा भाषियों की उपेक्षा कर तो नहीं की जा सकती. इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.
रिपोर्ट- मदन