चतरा: पानी भरते ही मिनटों में धड़ाम 14 लाख की टंकी

खामियां छुपाने के लिये पीएचईडी विभाग ने रातों-रात हटाया मलबा

इंजीनियर बोले- रिस रहा था, ठेकेदार ने ही गिराया

चतरा : पानी भरते ही- जिले में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला देखने को मिला.

यहां पीएचईडी विभाग ने 14 लाख खर्च कर एक जलमीनार बनाया.

लेकिन ट्रायल के दौरान पानी भरते ही मिनटों में चौदह लाख की टंकी धड़ाम हो गया.

जिसके बाद अपनी खामियां को छुपाने के लिए पीएचईडी विभाग ने रातों-रात मलबे को हटाया

और पुनः निर्माण कार्य कराना शुरू किया.

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पानी भरते ही: क्या है पूरा मामला

पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल चतरा द्वारा जल जीवन मिशन योजना के तहत गांव में बनाये जा रहे

जलमीनार की गुणवत्ता पर अब सवाल उठने लगा है. चतरा सदर प्रखंड के लोवागड़ा गांव में

14 लाख रुपये की लागत से 16 हजार लीटर क्षमता का बनाया गया जलमीनार

पहला ट्रायल भी नहीं झेल पाया. ट्रायल के दौरान जलमीनार में पानी भरने के बाद

देखते ही देखते जलमीनार ताश की पत्तों की तरह जमीन पर बिखर गया. जलमीनार गिरने से कई ग्रामीण बाल-बाल बच गये. समय रहते घटना पर मौजूद लोग खुद को नही संभालते, तो बड़ी घटना हो सकती थी.

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पानी भरते ही: कुछ दिन पहले बना था जलमीनार

ग्रामीणों के अनुसार हजारीबाग के राज कंस्ट्रक्शन कंपनी के संवेदक के द्वारा एक सप्ताह पूर्व ही जलमीनार का कार्य पूर्ण कराया गया था. दो दिन पूर्व 13 दिसंबर, मंगलवार को ट्रायल के लिये जलमीनार में पानी चढ़ाया गया. जलमीनार में पानी भरने के बाद जलमीनार से पानी का तेज रिसाव होने लगा. जिसके बाद जलमीनार एक तरफ धीरे-धीरे झुकने लगा और देखते ही देखते पूरा जलमीनार ताश के पत्तो की तरह जमीन पर बिखरकर मलबे में तब्दील हो गया.

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12 प्रखंडों में 2500 जलमीनार का होना है निर्माण

गौरतलब है कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के आंकड़ों के अनुसार जल जीवन मिशन योजना के तहत प्रत्येक घरों में नल से जल पहुंचाने के उद्देश्य को लेकर जिले के 12 प्रखंडों में 2500 जलमीनार का निर्माण कराया जाना है. कई गांव में जलमीनार बनाने का काम चल रहा है. कहीं-कहीं योजना पूर्ण भी कर लिया गया है. सभी जलमीनार 16 हजार लीटर क्षमता के है. सभी जलमीनार 14 लाख रुपये की लागत से बनाया जाना है. योजना के तहत पहले चरण में 2 लाख 13 हजार घरों में नल का कनेक्शन कर घर तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

रात में जेसीबी लगाकर हटाया मलबा

कार्रवाई से बचने के लिए विभागीय अधिकारी के इशारे पर कार्य एजेंसी के संवेदक ने फिर से नया जलमीनार बनाने की कवायद शुरू कर दी है. संवेदक के द्वारा धराशाई हुये जलमीनार के मलबे को जेसीबी लगाकर रातो-रात हटाया गया है, ताकि साक्ष्य को छुपाया जा सके. इसके बाद संवेदक पुराने जलमीनार के बगल में ही नया जलमीनार बनाने के लिये नींव की खुदाई की.

जानिए क्या बोले कार्यपालक अभियंता

इस पूरे मामले में पीएचईडी विभाग समेत जिले के कोई भी अधिकारी अभी कमरे में कुछ भी कहने से बच रहे हैं. संवेदक के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाय कार्यपालक अभियंता के बयान से ऐसा लगता है कि वे संवेदक को बचाने में जुटे हैं. कार्यपालक अभियंता ने कहा कि राज कंस्ट्रक्शन कंपनी को दो यूनिट काम आवंटित किया गया है. लोवागड़ा में ट्रायल के दौरान जलमीनार से पानी का तेज रिसाव हो रहा था. जिसके कारण संवेदक ने विभागीय आदेश पर जलमीनार को गिरा दिया है. अब वहां फिर से नया जलमीनार बनाया जा रहा है. इस मामले में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता अविक अंबाला का बयान हास्यास्पद है.

पानी भरते ही: उपायुक्त ने दिया जांच का आदेश

इस पूरे मामले में उपायुक्त अबु इमरान ने जांच के आदेश दे दिये हैं. उपायुक्त ने फोन पर बताया कि जलमीनार धराशाई होने की सूचना उन्हें प्राप्त हुई है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता को मामले की जांच करने का निर्देश दिया गया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद संवेदक के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.

रिपोर्ट: सोनु भारती

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