पटना: कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-IV, पटना द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें बिहार और झारखंड के कृषि विज्ञान केन्द्रों के विषय वस्तु विशेषज्ञ (पौधा संरक्षण) ने भाग लिया। कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुख कार्यों में से एक महत्वपूर्ण कार्य प्रक्षेत्र अनुसंधान परिक्षण हेतु कार्य योजना पर विस्तृत चर्चा की गई जिससे किसानों की व्यवहारिक कृषि समस्याओं के निदान हेतु कार्य किया जा सके। कृषि विज्ञान केन्द्रों के द्वारा किसानों को भागीदार बनाकर कृषि समस्याओं का निराकरण स्थायी रूप से किया जायेगा, जिससे कृषि की उत्पादकता नियमित बनी रहें और नवीन तकनीकें किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो।
इस कार्यशाला मे 37 कृषि विज्ञान केन्द्रों के विषय वस्तु विशेषज्ञ (पौधा संरक्षण) ने भाग लिया तथा अपने-अपने जिले की कार्य योजना पर विस्तृत चर्चा की। कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना के निदेशक डॉ अंजनी कुमार ने कहा की कृषि को लाभकारी बनाने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ अपने जिलों में कार्य करना चाहिए जिससे किसानो का आत्मविश्वास बढ़े और वह कृषि को व्यवसाय के रूप में ग्रहण कर सकें।
दो दिवसीय कार्ययोजना कार्यशाला मे प्रो रघुरमन, काशी हिन्दु विश्वविधालय, वाराणसी, डॉ कुलदीप श्रीवास्तव, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी और डॉ रंजीत कुमार सहायक प्रध्यापक, डुमराँव ने विशेषज्ञ के रूप में भाग लिया तथा अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये, जिससे किसानों के हित के लिए महत्वपूर्ण कार्य योजना बनाई जा सके। कार्य योजना कार्यशाला में डॉ मोनोबुल्लाह, डॉ अमरेन्द्र कुमार, डॉ डी वी सिंह, डॉ प्रज्ञा भदौरिया एवं डॉ तेजस्वनी ने सफल बनाने मे महत्वपूर्ण योगदान दिया एवं अटारी, पटना के समस्त अधिकारी, कर्मचारी एवं परियोजना कर्मिकों ने महत्पूर्ण भूमिका अदा की।
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