1932 खतियान झारखंड के लोगों की पहचान- सुखदेव भगत

रांची : 1932 खतियान झारखंड के लोगों की पहचान है. देश का 40 प्रतिशत तक खनिज झारखंड में मिलता है.

लेकिन झारखंड के आदिवासी मूलवासी को अधिकार नहीं मिलने के कारण वे लोग विस्थापित होते हैं.

ये बातें कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने प्रेस वार्ता के दौरान कही.

1932 खतियान को लेकर आगे बढ़ रही है सरकार

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की

सरकार में लैंड बैंक बनाया गया, जो सीएनटी कानून का उल्लंघन है.

1932 खतियान के खिलाफ में जो हवाला दिया जा रहा है वो गलत है.

उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले नागरिक हर राज्य के स्थाई निवासी नहीं हो सकते हैं.

यह बातें सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है. देश में भाषाई आधार पर कई राज्यों का गठन हुआ.

इसी तरह झारखंड में 1932 के आधार को लेकर सरकार आगे बढ़ी है.

गोडसे नहीं गांधीवादी तरीके से होगा समस्या का समाधान

सुखदेव भगत ने कहा कि पांचवी अनुसूची क्षेत्र के आने की वजह से झारखंड के आदिवासियों मूल वासियों की

पहचान को संरक्षित रखने का प्रावधान किया गया है.

राज्यपाल को विशेष अधिकार दिए गए हैं. सरकार वंचित वर्ग के लिए नियम बनाती है.

किसी भी समस्या का समाधान गांधीवादी तरीके से होगा ना कि गोडसे के तरीके से होगा.

किराएदार नहीं हो सकता मकान मालिक

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नौवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद ही 1932 का प्रावधान

प्रभावी माना जाएगा. किराएदार मकान मालिक नहीं हो सकता है.

किराएदार चाहे जितना भी धनवान या बहुसंख्यक क्यों ना हो, वो मकान मालिक नहीं हो सकता है.

जिन लोगों के साथ अन्याय हुआ उन्हें न्याय मिलना चाहिए.

1932 खतियान झारखंड में लागू

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने 14 सितंबर को मंत्रिमंडल की बैठक में 1932 खतियान का

प्रस्ताव पास कर दिया है. इसके तहत झारखंड में 1932 या इसके पूर्व के सर्वे के आधार पर रह रहे लोगों को स्थानीय माना जाएगा. जो भूमिहीन होंगे या जिनके पास खतियान नहीं होगा उनको ग्राम सभा से पहचान कर स्थानीय का दर्जा दिया जाएगा.

जानें स्थानीयता कानून लागू करने का नियम

अब इस विधेयक को विधानसभा में पारित कराने के बाद नौंवी अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. सरकार अब इस विधेयक को पारित कराने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी में जुट गई है. सूत्रों के अनुसार अगले हफ्ते विशेष सत्र आहूत करने की तैयारी की जा रही है. इस विशेष सत्र में 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति संबंधित विधेयक और एसटी-एससी, ओबीसी का आरक्षण बढ़ाने संबंधित विधेयक को पारित कराया जाएगा. विधानसभा से पारित कराने के बाद दोनों विधेयकों को राज्यपाल के माध्यम से केंद्र को भेजा जाएगा.

रिपोर्ट: शाहनवाज

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