Wednesday, August 20, 2025

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BNMU में होने वाले दीक्षांत समारोह के दिन 2 शोधार्थी करेंगे आत्मदाह

मधेपुरा : मधेपुरा के भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (BNMU) में आगामी 19 फरवरी को आयोजित दीक्षांत समारोह के दिन दो शोधार्थी आत्मदाह करेंगे। पीएचडी कोर्स वर्क से निलंबित नाराज छात्र-छात्रा शोधार्थी ने आत्मदाह की एल्टीमेटम राष्ट्रपति से भी मांगी है। दरअसल, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में 19 फरवरी को एक ओर जहां छठा दीक्षांत समारोह का आयोजन होगा। वहीं दूसरी ओर बीएनएमयू के पीएचडी के दो शोधार्थी ने कुलाधिपति सह राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के समक्ष आत्मदाह करने की एल्टीमेटम दिया है।

इस मामले में शोधार्थियों ने कहा कि बीएनएमयू में छात्र के समस्याओं पर बीएनएमयू प्रशासन से सवाल करने पर जिस तरह से मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया है। पीएचडी कोर्स वर्क से निलंबित कर दिया गया है व पीएचडी का पंजीयन भी रोक दिया गया है। ऐसी स्थिति में आत्मदाह करने के अलावा अब कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है। इस मामले को लेकर छात्र-छात्रा ने दो दर्जन से अधिक अधिकारियों एवं विभागों को पत्र भेजा है। फिलहाल जिले में यह मामला तूल पकड़ रहा।

जानकारी के अनुसार, वनस्पति विज्ञान विषय की शोधार्थी मौसम कुमारी एवं भौतिकी विषय के शोधार्थी मो. अरमान अली ने बीएनएमयू कुलपति एवं कुलानुशासक के द्वारा छात्र विरोधी, दमनात्मक, तानाशाही रवैया, पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर मनुवादी एवं सामंतवादी तरीके से अन्यायपूर्ण निर्णय लिया। जिससे नाराज छात्रों ने मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाकर राष्ट्रपति को पत्र प्रेषित कर आत्मदाह की स्वीकृति मांगी है। राष्ट्रपति के अलावा इन दोनों शोधार्थियों ने प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत लगभग दो दर्जन अधिकारियों, विभागों एवं नेताओं को भी ई-मेल एवं पोस्ट के माध्यम से प्रतिलिपि भेजी है।

आपको बता दें कि बीएनएमयू कुलसचिव द्वारा पत्र जारी कर बीते सात सितंबर 2024 को मो. अरमान अली एवं 14 सितंबर 2024 को मौसम कुमारी को पीएचडी पाठ्यक्रम से निलंबित किए जाने के संबंध में पत्र जारी किया गया। साथ ही पत्र प्राप्ति के सात दिनों के अंदर स्पष्टीकरण समर्पित करने को कहा गया। वहीं शोधार्थियों के द्वारा कुलसचिव के समक्ष स्पष्टीकरण समर्पित भी किया गया। जिसके बाद इनलोगों का पंजीयन के लिए पंजीयन से संबंधित सभी कार्य किया गया एवं विभाग के आदेशानुसार शुल्क भी जमा किया गया। इसके बाद सभी विषयों के शोधार्थियों को जब पंजीयन पत्र दिया गया तो इनलोगों का पंजीयन पत्र पर रोक लगा दिया गया।

शोधार्थियों ने इन्हें भेजा है पत्र की प्रतिलिपि

शोधार्थियों के द्वारा जो प्रतिलिपि भेजी गई है। उसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष, केंद्रीय सतर्कता आयोग, कुलाधिपति सह राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, बिहार विधानसभा अध्यक्ष, शिक्षा मंत्री, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव, बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के उच्च शिक्षा निदेशक, बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष, मानवाधिकार आयोग बिहार पटना के अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग, बिहार महिला आयोग, मानव संसाधन विभाग भारत सरकार, अल्पसख्यक आयोग बिहार के अध्यक्ष, कोसी प्रमंडल आयुक्त, बीएनएमयू कुलपति शामिल हैं। वहीं इन छात्र छात्रा को विश्वविद्याडालय प्रशासन के द्वारा किसी भी गतिविधि में भाग नहीं लेने को लेकर डराया धमकाया भी जा रहा है।

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वहीं आइसा के विश्वविद्यालय अध्यक्ष सह बीएनएमयू में अध्यनरत पीएचडी भौतिकी के छात्र अरमान अली एवं एआईएसएफ की राज्य परिषद सदस्य सह बीएनएमयू में अध्यनरत पीएचडी वनस्पति विज्ञान की छात्रा मौसम कुमारी ने कहा कि छात्र नेता होने के नाते छात्र हितों से जुड़े सवाल करने पर कुलपति द्वारा छात्र के मुद्दे को उठाने से रोकने के लिए कुलानुशासक कार्यालय से नोटिस दिया गया कि विश्वविद्यालय में छात्रों के हित में किसी भी गतिविधि में भाग नहीं लें और डराया-धमकाया भी जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिसके बाद बदले की भावना से पैट-21 कोर्स वर्क के परीक्षा में बीएनएमयू द्वारा हमें व अन्य छात्रों को जानबूझकर फैल कर दिया गया। जिसके बाद छात्र संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद परीक्षा परिणाम में सुधार कर पास भी किया गया।

पीड़ित छात्रों ने बताया कि आंदोलनों का नेतृत्व करने पर पंजीयन रोका गया है। शोधार्थियों ने बताया कि बीएनएमयू के तत्कालीन परिसंपदा पदाधिकारी डॉ. शंकर कुमार मिश्रा पर छात्रा से बदसलूकी व महिला उत्पीड़न की शिकायत आई जिसकी जांच एवं कार्रवाई करने के बजाए आरोपी शिक्षक को पदोन्नति करते हुए परीक्षा नियंत्रक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी गई। इसके विरोध में हो रहे आंदोलन में शामिल होने के वजह से पीएचडी कोर्स से निलंबित कर दिया गया है और पीएचडी में पंजीयन भी रोक दिया गया है। निलंबन करना एवं पंजीयन का रोकना विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं की समस्याओं पर मुखर होकर बोलने व उनके आंदोलनों का नेतृत्व करने पर बीएनएमयू कुलपति द्वारा बदले की भावना से किया गया है। पीड़ित छात्र और छात्रा ने बताया कि अब आत्मदाह के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा है।

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रमण कुमार की रिपोर्ट

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