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पाकुड़ः मासूम बने मजदूर – इन दिनों पाकुड़ सदर प्रखंड के मासूम बच्चे स्कूल जाने के बजाय अपने और अपने परिवार का पेट भरने के लिए जिले के अलग-अलग इलाकों में दरबदर भटक रहे हैं। हम आपको ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सदर प्रखंड अंतर्गत कुछ गांव के मासूम बच्चे इन दोनों अपने पूरा परिवार का बोझ कंधे में लिए घूम रहे हैं।
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मासूम कहते हैं कि उनके सर पर पिता का साया नहीं रहने के कारण घर की जिम्मेदारी मां पर बढ़ गई हैं। मां की बोझ को कम करने के लिए यह मासूम रोज सुबह जिले के अलग-अलग इलाकों में जाकर प्लास्टिक के बने सामग्री को चुनते हैं और इन्हें पाकुड़ से सटे राज्य पश्चिम बंगाल में ले जाकर बेचते हैं।
मासूम बने मजदूर – सरकारी मदद से पूरे परिवार की परवरिश नहीं हो पाती
मासूम बच्चों का यह भी कहना है कि सरकार के तरफ से दी जा रही है मदद से घर के अन्य सदस्यों की परवरिश नहीं हो पा रही है। जिस वजह से हम लोगों को यह काम करना पड़ रहा है। आपको बता दें कि सरकार शिक्षा के प्रति लाखों रुपये खर्च कर जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चला रही है।
लेकिन अभी भी पाकुड़ जिले के कई इलाके में जागरूकता की कमी के कारण बच्चे मजदूर बन रहे हैं। जरुरत है ऐसे बच्चों को जागरूक कर विद्यालय भेजनें की। पढ़ेगा बच्चा तभी तो बढ़ेगा बच्चा।