रांचीः आदिवासियों का सबसे बड़ा पर्व सरहुल (Sarhul) 10 अप्रैल को मनाया जाएगा। केन्द्रीय संघर्ष समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। प्रकृति पर्व सरहुल को लेकर आदिवासी महिलाएं व पुरुष 9 अप्रैल को उपवास रखेंगे उसके बाद 10 अप्रैल को सरहुल पूजा की जाएगी, वहीं 11 अप्रैल को भव्य शोभायात्रा निकाला जाएगा।
सरहुल (Sarhul) पूजा – 12 अप्रैल को फूलखोंसी की जाएगी
उसके बाद 12 अप्रैल को सभी घरों में फूलखोंसी की रस्म की जाएगी। 11 अप्रैल को भव्य शोभायात्रा के दौरान कई आदिवासी संगठन पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शोभायात्रा की शुरुआत करेगे। इस दौरान भारी संख्या में आदिवासी समाज के लोगों की मौजूदगी रहेगी।
केन्द्रीय संघर्ष समिति ने इस दौरान सबको आह्वान किया है कि सरहुल में सभी धर्मावलंबी के लोग अपने-अपने घर में सरना झंडा जरुर लगाए। और शोभायात्रा के दौरान भारी से भारी संख्या में भाग लेकर इसको सफल बनाएं। इस दिन पारंपरिक ढोल-नगाड़ो और मांदर के साथ शामिल हो।