बाढ़ : पटना जिला से पूर्व उत्तरायण गंगा के तट पर बसा सबसे पुराना शहर बाढ़ है. जिसे मठों और मंदिरों की नगरी कहा जाता है. साथ ही सृष्टि और अंत्येष्टि की नगरी भी कहा जाता है. सृष्टि हेतु औलाद प्राप्ति की मन्नत के लिए ‘‘बाबा उमानाथ धाम’’ उपलब्ध है. वहीं अंत्येष्टि के लिए सती स्थान श्मशान घाट है. ये दोनों बाढ़ शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाती है.
इसी बाढ़ शहर के सदर बाजार स्थित तेराहा के पास ‘‘वैष्णो धाम मंदिर’’ है. यहां पिछले 20 सालों से ज्वालाजी से लाई गई ज्योति अनवरत जल रही है. अनवरत ज्योति को जलने में श्रद्धालुओं का सबसे बड़ा योगदान है. क्योंकि इस ज्योति को अनवरत जलाने के लिए शुद्ध घी का प्रयोग किया जाता है. जो लगभग 20 सालों से श्रद्धालुओं द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है. ज्वालाजी से लाई गई दो ज्योति इस मंदिर में 24 घंटे जलती रहती है.
इस मंदिर के इतिहास के बारे में स्थानीय पुजारी शंभू स्वर्णकार ने कहा कि यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुरानी है. इस मंदिर में दुर्गा मां की पूजा होती है. कालांतर में मां की पूजा सदर बाजार बाढ़ के कटरा मोहल्ले में हुआ करती थी. जगह की कमी के कारण लगभग 100 साल पहले यहां एक मंदिर बनाया गया. जिसमें मिट्टी की प्रतिमा बनाकर मां दुर्गा की पूजा होने लगी. सन 2000 में यहां पर नया मंदिर का निर्माण किया गया. जिसमें स्थाई तौर पर दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की गई. 2002 में ज्वाला जी से ज्योति लाई गई, और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित की गई. उस दिन से यहां निरंतर सुबह-शाम पूजा-पाठ जारी है.
रिपोर्ट : अनिल कुमार

