डिजीटल डेस्क : Loksabha – छा गए जदयू सांसद रामप्रीत मंडल, पूछा था – सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना चाहती है? हां तो बताएं, नहीं तो क्यों? सोमवार संसद की कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा में जदयू सांसद रामप्रीत मंड का सवाल और दो टूक अंदाज में जवाब मांगने का अंदाज सभी के बीच चर्चा का विषय बन गया।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का मसला रविवार को सर्वदलीय बैठक में भी जदयू की ओर से उठा और सुर्खियों में आया था लेकिन सोमवार को संसद में यह सवाल फिर से सुर्खियों में आया। इसके साथ ही सवाल पूछने वाले जदयू सांसद रामप्रीत मंडल भी अचानक बिहार से नई दिल्ली तक इसी मुद्दे पर जारी सियासत में अलग से छा गए।
बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जा का विकल्प तलाश रहा एनडीए
केंद्र की एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार में शामिल जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने सीधे-सीधे लोकसभा में अपनी ही सरकार से पूछ दिया कि क्या वह बिहार और शेष ऐसे राज्यों को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए विशेष राज्य का दर्जा देना चाहती है? अगर सरकार ऐसा विचार रखती है तो बताए और नहीं रखती है तो इसका कारण स्पष्ट करे। जदयू के सांसद रामप्रीत मंडल के इस सीधे सवाल का सीधा जवाब भी बजट सत्र के पहले दिन मिल गया। मंडल ने वित्त मंत्री के लिए यह सवाल रखा था।
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने इसपर प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए नकारात्मक और सीधा जवाब दिया। मतलब, अब जैसा जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने सर्वदलीय बैठक में अपनी बात रखी थी कि अगर विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे सकते हैं तो विशेष पैकेज दें। अब संभवत: एनडीए सरकार के अहम किरदार जदयू की बात रखने के लिए केंद्र सरकार इस राह का विकल्प देखे। Loksabha Loksabha Loksabha Loksabha Loksabha
बिहार में सियासी पारा हाई, लालू ने मांगा नीतीश से इस्तीफा
विशेष राज्य का दर्जा देने के मसले पर केंद्र सरकार के जवाब के बाद बिहार का सियासी पारा हाई है। राजद सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने सीएम नीतीश कुमार और मोदी सरकार दोनों पर हमला बोला है। लालू यादव ने कहा कि पीएम मोदी और नीतीश ने बड़ी निर्लज्जता से बिहार को ‘विशेष राज्य’ पर झुनझुना पकड़ा दिया है। जदयू भाजपा के सामने यह कहकर नतमस्तक है कि विशेष राज्य का दर्जा नहीं तो, विशेष पैकेज के नाम पर ही बिहार को कुछ भी दे दें।
लालू यादव ने नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग की है। लालू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाएंगे, लेकिन केंद्र सरकार ने मना कर दिया है। ऐसे में अब नीतीश कुमार तुरंत इस्तीफा दें। बता दें कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग काफी पुरानी है। नीतीश कुमार और जदयू समेत तमाम राजनीतिक दल जोरशोर से इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।
वित्त राज्यमंत्री बोले – राष्ट्रीय विकास परिषद के मानदंडों पर बिहार विशेष श्रेणी लायक नहीं
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने रामप्रीत मंडल के सवाल के जवाब में बताया- “राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने पहले कुछ राज्यों को योजना सहायता के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा प्रदान किया था। उन राज्यों में कुछ विशेष परिस्थितियां थीं, जिनके आधार पर यह किया गया था।
यह निर्णय उन सभी कारकों और राज्य की विशिष्ट स्थिति के एकीकृत विचार के आधार पर लिया गया था। विशेष श्रेणी के दर्जे के लिए बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) ने पहले भी विचार किया था, जिसने 30 मार्च, 2012 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। आईएमजी ने निष्कर्ष निकाला था कि मौजूदा एनडीसी मानदंडों के आधार पर बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है।” 2012 में देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी। उस समय भी यही रिपोर्ट आई थी, केंद्र की मौजूदा सरकार ने उसी का हवाला दिया है।
Loksabha : सांसद शांभवी चौधरी बोलीं – जनता की आवाज को संसद तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र सरकार के इंकार कर दिया है। इस पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद शाम्भवी चौधरी ने कहा कि नीति आयोग बनने के बाद विशेष राज्य के दर्जे के तहत किसी को कुछ नहीं मिला है। जदयू नेता अशोक चौधरी की बेटी और लोजपा (रामविलास) सांसद शाम्भवी चौधरी ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा प्लानिंग कमीशन के समय तक अस्तित्व में था।
नीति आयोग बनने के बाद विशेष राज्य के दर्जे के तहत किसी को कुछ नहीं मिला, लेकिन राज्यों को विशेष पैकेज जरूर मिला है, जिससे विकास को गति मिलेगी। हम सभी जनप्रतिनिधि हैं, हमें जनता की आवाज बनना है। जनता की आवाज को संसद तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। यह हमारी मांग है और हम इसे मांगते रहेंगे। आने वाले बजट से हमें काफी उम्मीदें हैं। शाम्भवी ने कहा कि स्पेशल स्टेटस सिर्फ एक टर्म है, जिसपर विपक्ष केवल राजनीति कर रहा है।
जिस तरह बिहार एनडीए के साथ मजबूती से खड़ा है, आने वाले समय में एनडीए भी बिहार के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा और बिहार को विशेष पैकेज मिलेगा।
पहली बार राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा देने की बात साल 1969 में आई थी सामने
देश के किसी क्षेत्र को विशेष श्रेणी का दर्जा देने की बात पहली बार वर्ष 1969 में राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की बैठक में आई थी। उस बैठक में डीआर गाडगिल समिति ने भारत में राज्य योजनाओं के लिए केंद्रीय सहायता आवंटित करने का एक फॉर्मूला पेश किया। इससे पहले राज्यों को इस तरह से आगे बढ़ाने के लिए धन वितरण का कोई विशेष फॉर्मूला नहीं था।
एनडीसी ने अनुमोदित गाडगिल फॉर्मूला ने असम, जम्मू-कश्मीर और नगालैंड जैसे विशेष श्रेणी के राज्यों को प्राथमिकता दी गई। पांचवें वित्त आयोग ने 1969 में स्पष्ट किया कि विशेष श्रेणी की अवधारणा क्या रहेगी? एनडीसी ने इस स्थिति के आधार पर इन राज्यों को केंद्रीय योजना से सहायता आवंटित की थी। वित्तीय वर्ष 2014-2015 तक विशेष श्रेणी स्थिति वाले 11 राज्यों को इसका लाभ मिला। वर्ष 2014 में जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सरकार बनी तो योजना आयोग का विघटन कर नीति आयोग का गठन किया गया। Loksabha Loksabha Loksabha Loksabha Loksabha Loksabha Loksabha
उसके प्रभाव से गाडगिल फॉर्मूला-आधारित अनुदान बंद हो गया और राज्यों को अलग-अलग श्रेणी में बांटने का प्रावधान भी खत्म हो गया। अब किसी भी नए राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि भारत का संविधान इस तरह के वर्गीकरण का प्रावधान नहीं करता है।