Desk. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे भारत में शीर्ष कोर्ट की अनुमति के बिना बुलडोजर कार्रवाई पर 1 अक्टूबर तक रोक लगा दी है। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि नगरपालिका कानूनों के तहत संपत्तियों को कब और कैसे ध्वस्त किया जा सकता है, इस पर दिशानिर्देश दिया जाएगा।
‘बुलडोजर कार्रवाई’ पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
दरअसल, खेड़ा के एक याचिकाकर्ता ने नगर निगम अधिकारियों के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके परिवार की तीन पीढ़ियां लगभग दो दशकों से उक्त घरों में रह रही हैं। इस पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, ‘ऐसे देश, जहां कार्रवाई कानून के तहत होती है। परिवार के किसी सदस्य द्वारा किया गया अपराध, परिवार के अन्य सदस्यों या उनके द्वारा निर्मित निवास के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती है। अपराध में कथित संलिप्तता किसी संपत्ति को ध्वस्त करने का कोई आधार नहीं है।’
बता दें कि, पिछले हफ्ते जस्टिस हृषिकेश रॉय, सुधांशु धूलिया और एसवीएन भट्टी की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एक मामले में सुनवाई करते हुए “बुलडोजर न्याय” की आलोचना की थी और कहा था कि ऐसे देश में जहां कानून सर्वोच्च है, इस तरह की कार्रवाई अकल्पनीय है। 2 सितंबर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह पूरे भारत में बुलडोजर कार्रवाई को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया जाएगा।