डिजीटल डेस्क: Flash Back – पटना में 13 जून 1998 को श्रीप्रकाश शुक्ला, मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी ने मंत्री बृजबिहारी को ऐलानिया किया था छलनी। Supreme कोर्ट ने गुरुवार को वर्ष 1998 में बिहार के तत्कालीन रसूखदार मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की वर्ष हत्या के मामले में जैसे ही पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को आजीवन कारावास सुनाते हुए 15 दिनों में सरेंडर करने का निर्देश दिया, वैसे पूरा घटनाक्रम का फ्लैशबैक सुर्खियों में आ गया है।
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हत्या की घटना बिहार की राजधानी पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में 13 जून 1998 की सरेशाम शाम 5 बजे हुई। उस दिन शनिवार था।
यूपी का डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला, मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी समेत कुछ अन्य साथियों साथ वहां पहुंचे और पलक झपकते ही उपचाराधीन मंत्री बृजबिहारी को छलनी कर मौत की नींद सुला दिया।
Flash Back : डॉन श्रीप्रकाश ने खुद दी हत्या की सूचना, केस दर्ज कराने में लोग सहमे
बिहार की राजधानी में सरेशाम और सरेआम मंत्री को भूनने के बाद तुरंत वाराणसी मुख्यालय वाले हिंदी पट्टी के तत्कालीन एक प्रमुख हिंदी दैनिक के पटना दफ्तर में फोन कर घटना की जानकारी खुद डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला ने दी थी।
बताते हैं कि तब फोन पर डॉन श्रीप्रकाश ने कहा कि उसने बृजबिहारी को इतनी गोलियां मारी हैं कि पूरे शरीर में छेद ही छेद हो गया है। बताया जाता है कि वारदात को अंजाम देने के लिए दो दिन पहले ही श्रीप्रकाश शुक्ला गोरखपुर से वाया दिल्ली होकर हवाई मार्ग से पटना पहुंचा था।
घटना से दो दिन पहले 11 जून 1998 की दोपहर में ही वह वाराणसी मुख्यालय वाले हिंदी दैनिक के पटना प्रकाशन कार्यालय पहुंचा और ऐलान किया कि पटना में वह कुछ बड़ा करने को पहुंचा है। तब उसने अखबार में उस खबर को छाप देने को भी कहा था।
Flash Back : मंत्री की हत्या के बाद तब डर का ऐसा माहौल बन गया कि कोई मुकदमा तक दर्ज कराने को तैयार नहीं था। आखिर में बृजबिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी ने दो दिन बाद 15 जून को अपने पति की हुई हत्या मुकदमा दर्ज कराया।
रमा देवी ने तब इस वारदात का मास्टर माइंड बेऊर जेल में बंद मोकामा गैंग के सरगना सूरजभान सिंह को बताया था। तब उस मामले में सूरजभान के अलावा श्रीप्रकाश शुक्ला, अनुज प्रताप सिंह, सुधीर त्रिपाठी, मुन्ना शुक्ला, मंटू तिवारी के साथ ललन सिंह, राजन तिवारी, भूपेंद्र दुबे और सतीश पांडेय समेत करीब एक दर्जन अन्य लोगों को नामजद किया गया।

22 कमांडो का सुरक्षा घेरा भेदकर मंत्री बृजबिहारी पर पटना में कातिलों ने बोला था धावा…
तब बिहार में उस समय राबड़ी देवी की सरकार थी। सरकार के दिग्गज मंत्री और राजद सुप्रीमो लालू यादव के खासमखास बृजबिहारी प्रसाद पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती थे।
चूंकि उस समय बृजबिहारी प्रसाद गैंगस्टर छोटन शुक्ला, भुटकुन शुक्ला और देवेन्द्र दूबे की हत्या में नामजद थे इसलिए गैंगवार में उन पर कातिलाना हमले की आशंका प्रबल थी।
वैसे में अस्पताल में उनकी सुरक्षा के लिए 22 कमांडो के अलावा भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात थी लेकिन कातिलों की टीम ने उस घेरे को भेद कर अपने टारगेट पर धावा बोला था। उसकी किस्सा भी दिलचस्प है।
अस्पताल में 13 जून 1998 की सायं 5 बजे एक अंबेसडर कार और बुलेट पर सवार होकर 5 लोग अस्पताल पहुंचे थे। वे सभी अस्पताल के बाहर गाड़ी खड़ी करके सीधे अंदर घुसे।
कोर्ट में दिए घटना संबंधी ब्योरे के मुताबिक, उनमें सबसे आगे श्रीप्रकाश शुक्ला था। उसके पीछे सुधीर त्रिपाठी और अनुज प्रताप सिंह थे। उन तीनों के अलावा मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी भी साथ थे।
वारदात को अंजाम देने वाले उन 5 में से तीन श्रीप्रकाश शुक्ला, अनुज प्रताप सिंह और सुधीर त्रिपाठी अलग-अलग एनकाउंटर में मारे गए। उसके बाद मामले में जिंदा बचे मंटू तिवारी और मुन्ना शुक्ला को गुरूवार को Supreme कोर्ट ने सजा सुनाई।

Flash Back : वारदात के 4 घंटे बाद विधायक आवास से अपनी एके 47 लोड करवा के पटना से निकले थे कातिल
Flash Back : मंत्री की दुस्साहसिक हत्या के वारदात को अंजाम देने के बाद पांचों बदमाश मुजफ्फरपुर से तत्कालीन विधायक रघुनाथ पांडेय के अलावा दो अन्य विधायकों शशिकुमार राय और चूना सिंह के आवास पर पहुंचे थे।
वहां वे करीब 3 घंटे तक रूके भी। उन्हीं में से किसी एक की विधायक के आवास पर हथियार डीलर से मुलाकात भी हुई। चूंकि उस समय श्रीप्रकाश शुक्ला के एके 47 की मैगजीन में कारतूस खत्म हो गए थे, इसलिए वहीं पर एक हथियार डीलर से उन्होंने अपनी एके 47 की मैगजीन भरवाई और एक मैगजीन एक्स्ट्रा लेकर करीब 3 से 4 घंटे बाद पटना से निकल गए थे।
इस वारदात के बाद बिहार सरकार सकते में आ गई थी। खुद लालू यादव भयभीत हो गए थे। वह अपने साथ भारी सुरक्षा लेकर तत्काल अस्पताल पहुंचे और तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की सुरक्षा डबल कर दी गई। उस समय सरकार भी यह मानने लगी थी कि अब श्रीप्रकाश शुक्ला कुछ भी कर सकता है।