Tuesday, October 21, 2025
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Ranchi: जंगल में मिला दिव्यांग युवक का अधजला शव, जांच में जुटी पुलिस

Ranchi: बेड़ो थाना क्षेत्र में सोमवार रात दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है। घाघरा गांव के चामा खूंटियारी जंगल में 20 वर्षीय दिव्यांग युवक सोमरा कुजुर (पिता – जयु कुजुर) की नृशंस हत्या कर दी गई। हत्या के बाद हत्यारों ने शव को पेट्रोल छिड़ककर जला दिया।Ranchi: युवक का अधजला शव मिला मंगलवार सुबह बेड़ो पुलिस को सूचना मिलने के बाद इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस ने जंगल से युवक का अधजला शव बरामद किया है। शव की स्थिति बेहद भयावह थी। जानकारी के अनुसार, शव की हालत देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि युवक की डंडे...

Bokaro: स्टील प्लांट में हादसा, इलेक्ट्रिकल फ्लैश की चपेट में आकर दो मजदूर झुलसे

Bokaro: स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के बोकारो स्टील प्लांट (BSL) में मंगलवार को बड़ा हादसा हो गया। प्लांट के स्टील मेल्टिंग शॉप (SMS-1) विभाग में काम कर रहे दो मजदूर इलेक्ट्रिकल फ्लैश की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गए। हादसे के बाद दोनों को इलाज के लिए बोकारो जनरल अस्पताल (BGH) में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।Bokaro: कैसे हुआ हादसा? मंगलवार दोपहर करीब, SMS-1 विभाग के एरिया रिपेयर शॉप में यह हादसा हुआ। जानकारी के अनुसार, बीएसएल कर्मचारी देवरथ और ठेका मजदूर शक्ति एक इलेक्ट्रिकल पैनल में कार्य कर...

Realme GT 8 Pro हुआ लॉन्च, 200MP कैमरा वाले इस फोन की जानिए कितनी कीमत है

Desk. Realme GT 8 Pro और Realme GT 8 को कंपनी ने चीन में आधिकारिक रूप से लॉन्च कर दिया है। ये दोनों स्मार्टफोन ब्रांड के प्रीमियम फ्लैगशिप सेगमेंट में आते हैं और इनमें कई पावरफुल फीचर्स दिए गए हैं। खास बात ये है कि Realme GT 8 Pro में Snapdragon 8 Elite Gen 5 प्रोसेसर, R1 X ग्राफिक्स चिप, और 7000mAh बैटरी जैसे दमदार स्पेसिफिकेशन्स मिलते हैं।Realme GT 8 Pro स्पेसिफिकेशन्सडिस्प्ले: 6.79 इंच QHD+ AMOLED स्क्रीन रिफ्रेश रेट: 144Hz ब्राइटनेस: 7000 Nits पीक ब्राइटनेस प्रोसेसर: Qualcomm Snapdragon 8 Elite Gen 5 ग्राफिक्स: R1 X ग्राफिक्स चिप RAM...

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: मुद्दों की बदलती फेहरिस्त और राजनीतिक रणनीतियों का विश्लेषण

रांची: झारखंड में विधानसभा चुनाव का मौसम अपने चरम पर है और राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। भ्रष्टाचार और परिवारवाद से शुरू हुई बहस अब बांग्लादेशी घुसपैठ और तुष्टीकरण जैसे मुद्दों तक पहुंच चुकी है। इस बार चुनावी समीकरण और मुद्दों का तेजी से बदलना यह दर्शाता है कि झारखंड में राजनीति किस ओर करवट लेने जा रही है। झारखंड के वर्तमान राजनीति को हम अगर कुछ प्रमुख बिंदुओं पर समझने की कोशिश करें तो वह प्रमुख बिंदुओं  की चर्चा  हम इन मुद्दों के आधर पर कर सकते है:-

शुरुआती मुद्दे: भ्रष्टाचार से बांग्लादेशी घुसपैठ तक का सफर

चुनाव के शुरुआती संकेतों के साथ ही, बीजेपी ने झारखंड में भ्रष्टाचार और परिवारवाद को अपने प्रमुख मुद्दों के रूप में पेश किया था। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, बीजेपी का फोकस तेजी से बदलते हुए बांग्लादेशी घुसपैठ और तुष्टीकरण जैसे मुद्दों पर आ गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा की झारखंड यात्रा के बाद, इस मुद्दे को और भी ज़्यादा हाइप मिल गई है। यह एक बड़ा सवाल है कि क्या यह मुद्दा झारखंड में उतना ही प्रभावी साबित होगा जितना कि असम में था।

जेएमएम की रणनीति: मैया योजना और केंद्र के बकाया की वापसी

झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की तरफ से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का फोकस इस समय केंद्र सरकार से राज्य के बकाया राशि की वापसी पर है। जेएमएम का दावा है कि केंद्र के पास झारखंड का एक बड़ा बकाया है, जो राज्य के विकास कार्यों में बाधा डाल रहा है। इसके अलावा, जेएमएम “मैया योजना” के जरिए अपने मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। भ्रष्टाचार और परिवारवाद के आरोपों से घिरी जेएमएम के लिए ये मुद्दे बचाव की भूमिका निभा सकते हैं।

युवा मतदाताओं की नाराज़गी और जेएसएससी का मुद्दा

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) में कथित भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों को लेकर छात्रों में नाराज़गी बढ़ रही है। परीक्षा प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों और उसकी वजह से युवाओं के भविष्य के साथ हुए खिलवाड़ ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है। विपक्ष इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रहा है, और बाबूलाल मरांडी व अन्य विपक्षी नेता इस पर आरोपों के साथ सबूत पेश कर रहे हैं। यह मुद्दा चुनाव में सरकार विरोधी लहर को और तेज़ कर सकता है।

कांग्रेस की दुविधा: आंतरिक कलह और नेतृत्व संकट

कांग्रेस पार्टी के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती आंतरिक गुटबाजी और नेतृत्व संकट है। हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद कांग्रेस की स्थिति और भी जटिल हो गई है। पार्टी के पास कैंडिडेट चयन में स्पष्टता की कमी दिखाई दे रही है, और गुटबाजी के कारण पार्टी की मजबूती पर सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए चुनावी मैदान में मजबूती से खड़ा होना एक बड़ी चुनौती होगी।

जातीय समीकरण और उम्मीदवार चयन की रणनीति

झारखंड की चुनावी राजनीति में जातीय समीकरण का बहुत बड़ा महत्व है। सभी दलों की प्राथमिकता होगी कि वे ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दें, जो स्थानीय जातीय समीकरणों को साध सकें। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आदिवासी उम्मीदवारों को ही तरजीह दी जाएगी, और वहीं दूसरी ओर अपर कास्ट के प्रभाव वाले इलाकों में उन्हीं जातियों से संबंधित उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी। धनबाद जैसे क्षेत्रों में अपर कास्ट उम्मीदवारों का बोलबाला रहा है, और पार्टी इस पारंपरिक रणनीति से हटने का जोखिम उठाने से बच सकती है।

गठबंधन की स्थिति और छोटे दलों का प्रभाव

इस बार के चुनाव में गठबंधन की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। एनडीए के घटक दलों और विपक्षी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान देखने को मिल सकती है। जयराम महतो की पार्टी और अन्य छोटे दलों की रणनीति भी युवाओं के मुद्दों को उठाकर चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।

चुनाव के निर्णायक मुद्दे: कौन करेगा बाजी अपने नाम?

वर्तमान समय में झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ, भ्रष्टाचार, रोजगार, जेएसएससी का मुद्दा, और केंद्र के पास राज्य के बकाया राशि जैसे मुद्दे प्रमुखता से उभर कर सामने आए हैं। इसके अलावा, पार्टियों के बीच कैंडिडेट्स का सही चयन और चुनावी रणनीति बहुत मायने रखेगी। अगर कोई पार्टी इन मुद्दों पर सही तरीके से फोकस करती है और जातीय समीकरणों को साध पाती है, तो वही इस चुनाव में बढ़त बना सकती है।

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में मुद्दों और राजनीतिक समीकरणों के बीच एक गहरा खेल चल रहा है। जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आएंगे, और भी नए मुद्दे उभर सकते हैं जो चुनावी नतीजों को प्रभावित करेंगे। झारखंड का राजनीतिक परिदृश्य लगातार बदल रहा है, और हर दल के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण लड़ाई होगी कि वे इन मुद्दों को कैसे जनता के सामने प्रस्तुत करते हैं। इस रिसर्च स्टोरी का निष्कर्ष यही है कि इस बार का चुनाव न सिर्फ पारंपरिक मुद्दों पर लड़ा जाएगा बल्कि नई बहसों और मुद्दों के आधार पर भी इसका परिणाम तय होगा।

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