रांची: बड़कागांव विधानसभा सीट इस बार फिर से एक दिलचस्प मुकाबले का गवाह बनने जा रही है। कांग्रेस की मौजूदा विधायक अंबा प्रसाद दूसरी पारी के लिए मैदान में हैं, जबकि उनके सामने इस बार बीजेपी से रोशन लाल चौधरी कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार हैं। जेएलकेएम (Jharkhand Liberation Front) के प्रत्याशी बालेश्वर मेहता की मौजूदगी इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना रही है, जो जातीय समीकरण में सेंधमारी करके मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकते हैं।
बड़कागांव का ऐतिहासिक राजनीतिक मिजाज
अगर हम बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर नजर डालें, तो यहां रामगढ़ राज परिवार का शुरूआती दो दशकों तक दबदबा रहा है। इसके बाद जनसंघ ने भी कुछ अवसरों पर चुनावी जीत हासिल की। सीपीआई (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) ने भी तीन बार इस सीट पर जीत दर्ज की, जिसमें रुद्र कुमार ने तीन बार विजय प्राप्त की। बीजेपी से लोकनाथ महतो ने भी इस सीट पर तीन बार जीत दर्ज की है। इसके अलावा, योगेंद्र साव के परिवार ने भी तीन बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें अंबा प्रसाद के पिता, माता और खुद अंबा शामिल हैं। बड़कागांव की खासियत यह है कि एक ही परिवार के तीन सदस्यों ने यहां का नेतृत्व किया है।
बड़कागांव की प्रमुख समस्याएं
बड़कागांव की प्रमुख समस्याओं में पलायन, विस्थापन, पुनर्वास, प्रदूषण और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी प्रमुख मुद्दे हैं। लगभग हर चुनाव में ये मुद्दे हावी रहे हैं, और इस बार भी इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए चुनावी जंग लड़ी जा रही है।
जातीय समीकरण और संभावित परिणाम
जातीय समीकरण के लिहाज से बड़कागांव में 16.24% अनुसूचित जाति, 18.15% अनुसूचित जनजाति, 14.7% मुस्लिम, 15.2% महतो और अन्य जातियां जैसे यादव, राजपूत, बनिया, कुर्मी और कुशवाहा बड़ी संख्या में हैं। ऐसे में जातीय गोलबंदी इस चुनाव का परिणाम तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
बालेश्वर मेहता, जो कि जेएलकेएम के प्रत्याशी हैं, महतो वोटरों में सेंधमारी कर सकते हैं, जो रोशन लाल चौधरी के लिए चुनौती खड़ी कर सकती है। अगर वे कुर्मी-कुशवाहा वोटर्स में भी अपनी पैठ बना लेते हैं, तो अंबा प्रसाद के लिए राह आसान हो सकती है। दूसरी ओर, बीजेपी के रोशन लाल चौधरी को इस बार मजबूत समर्थन मिल रहा है, क्योंकि 2019 में आजसू और बीजेपी का गठबंधन नहीं हुआ था, लेकिन इस बार रोशन लाल चौधरी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। पिछले चुनाव में, रोशन लाल चौधरी को आजसू के प्रत्याशी के रूप में अच्छा समर्थन मिला था, और अब बीजेपी से जुड़े होने के कारण उनका वोट बैंक और मजबूत हो सकता है।
अंबा प्रसाद vs रोशन लाल चौधरी: टक्कर का अंदाजा
अंबा प्रसाद पिछले पांच सालों में अपने काम के आधार पर वोट मांग रही हैं, जबकि रोशन लाल चौधरी उनके काम पर सवाल उठाकर उन्हें घेरने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों ही प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार किसे जनता का समर्थन मिलता है।
अगर जातीय समीकरणों और पिछले चुनावी परिणामों का आकलन किया जाए, तो यह स्पष्ट है कि मुकाबला बहुत कड़ा और दिलचस्प रहेगा। जेएलकेएम के प्रत्याशी बालेश्वर मेहता अगर महतो और कुर्मी वोटर्स में सेंध लगाने में सफल होते हैं, तो अंबा प्रसाद को बढ़त मिल सकती है, और यह मुकाबला रोशन लाल चौधरी के लिए और कठिन हो सकता है।
बड़कागांव विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। जहां एक तरफ अंबा प्रसाद अपनी दूसरी पारी खेलने की कोशिश में हैं, वहीं रोशन लाल चौधरी अपनी पहली जीत दर्ज करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। जेएलकेएम के बालेश्वर मेहता की भूमिका इस चुनाव में निर्णायक साबित हो सकती है, जो त्रिकोणीय मुकाबले को और भी रोमांचक बना रही है। अब देखना यह होगा कि जनता का फैसला किसके पक्ष में जाता है और बड़कागांव की राजनीति में कौन सा नया अध्याय जुड़ता है।