पटना: आजकल साइबर अपराधी साइबर (Cyber Fraud) अपराध करने के लिए एक से एक हथकंडे अपना रहे हैं। इन दिनों डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का मामला भी जोरों पर है। राजधानी पटना में साइबर ठगी का सबसे बड़ा मामला सामने आया है। साइबर ठगों ने एक पूर्व महिला प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों रूपये की ठगी कर ली। बताया जा रहा है कि महिला प्रोफेसर घर में अकेले रहती हैं। साइबर ठगों ने उन्हें वीडियो कॉल के माध्यम से दो दिनों तक उनके घर में ही डिजिटल अरेस्ट कर रखा और करोड़ों रूपये ट्रांसफर करवा लिया।
मामले में अब साइबर थाना में मामला दर्ज किया गया है जिसके बाद पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। पीड़िता ने बताया कि एक अंजान नंबर से फोन आया और सीबीआई का अधिकारी बता कर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बता कर पहले डराया और फिर पूछताछ के नाम पर वर्दी में एक व्यक्ति ने वीडियो कॉल पर रखा। वीडियो कॉल पर रख कर डरा धमका कर उन लोगों ने करीब तीन करोड़ रूपये बैंक से निकाल लिए। मामले में पटना के साइबर थाना में शनिवार को मामला दर्ज किया गया है।
इससे पहले 2.84 करोड़ की ठगी का मामला हुआ था शांत
पूर्व महिला प्रोफेसर से साइबर ठगी का यह मामला पटना के साइबर थाना में दर्ज अब तक का सबसे बड़ी लूट है। इससे पहले पटना साइबर थाना में 2.84 करोड़ रूपये की ठगी का मामला दर्ज किया गया था। पूर्व महिला प्रोफेसर को ठगों ने सीबीआई अधिकारी बन कर कॉल किया और पूछताछ के नाम पर दो दिनों तक वीडियो कॉल पर रखा। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बता कर डराया और बैंक खाता से करीब 3.07 करोड़ रूपये निकाल लिए।
प्रधानमंत्री ने भी की थी चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साइबर ठगी के इस तरह के मामले को लेकर जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से मन की बात में चर्चा की थी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि भारत की कोई भी जांच एजेंसी फोन या वीडियो कॉल पर किसी भी मामले में पूछताछ नहीं करती है। इसलिए अगर इस तरह का कोई भी फोन आये तो पहले सोचें और फिर उस नंबर को रिपोर्ट करें।
क्या है डिजिटल अरेस्ट
साइबर अपराधी व्हाट्सएप कॉल पर फोन करते हैं और अक्सर अपने आप को सीबीआई अधिकारी बताते हैं। वे मनी लॉन्ड्रिंग या पार्सल में आपत्तिजनक सामान बरामद होने की बात कह कर डराते हैं। इसके बाद वे एकांत में जाने के लिए कहते हैं और पूछताछ के नाम पर वीडियो कॉल पर रखते हैं। इस दौरान सामने असली पुलिसकर्मी लगने वाले कुछ वर्दी में बैठ कर पूछताछ करते हैं और डराते हुए बचने के लिए रूपये देने की बात कहते हैं। लोगों को जालसाज इस तरह से डरा देते हैं कि लोग खुद ही उसे पैसे देते हैं। अक्सर ऐसे मामले में जालसाज पीड़ित की सारी जानकारी पहले ही जुटा लेते हैं फिर वे शिकार बनाते हैं।
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