डिजिटल डेस्क: बांग्लादेश की पुलिस में हिंदुओं की भर्ती पर लगी रोक। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद जारी अंतिरम सरकार के शासनकाल में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ जारी अत्याचार और उत्पीड़न की जारी घटनाओं के बीच हिंदुओं को सीधे तौर पर चोट पहुंचने वाले फरमान भी जारी होने लगे हैं।
इसी क्रम में अर्थशास्त्री मोहम्मद युनूस की अगुवाई अंतरिम सरकार के नए फरमान में बांग्लादेश की पुलिस को हिंदूमुक्त बनाने की पहल है। इस क्रम में तय हुआ है कि अब बांग्लादेश की पुलिस में हिंदुओं की भर्ती नहीं की जाएगी।
बांग्लादेश के गृह मंत्रालय और लोक सेवा आयोग ने जारी किया आदेश
बांग्लादेश में हिंदू विरोधी नए सरकारी फरमान के क्रम में मोहम्मद यूनुस की सरकार की ओर से अब गृह मंत्रालय और लोक सेवा आयोग ने एक आदेश जारी किया है। इसके अनुसार, बांग्लादेश में अब कांस्टेबल से लेकर पुलिस के उच्च पदों पर अब किसी भी हिंदू की नियुक्ति नहीं की जाएगी। इस आदेश के कारण करीब 1500 से ज्यादा हिंदू अभ्यर्थियों के आवेदन खारिज कर दिए गए हैं।
अल्पसंख्यक हिंदुओं से चिढ़ी बांग्लादेश सरकार के नए फरमान पर गौर फरमाएं…
बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार अल्पसंख्यक हिंदुओं से कितना चिढ़ रही है और उन्हें कितना नापसंद कर रही है, इसकी बानगी अंतरिम सरकार के नए आदेश में देखी और समझी जा सकती है। बांग्लादेश में यह आदेश सख्ती से लागू करने को भी कहा गया है और इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरतने का भी निर्देश है।
बांग्लादेश पुलिस के आईजीपी बहारुल आलम को निर्देश दिया गया है कि वे किसी भी हिंदू को कांस्टेबल या सहायक उप-निरीक्षक के पद पर नियुक्त न करें.।उन्हें यह आदेश दिया गया है कि किसी भी हिंदू को पात्र होने पर भी भर्ती न किया जाए। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि बांग्लादेश सिविल सेवा परीक्षा में कोई भी हिंदू पास न हो सके।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ फरमान जारी करने के साथ ही शुरू हुई बर्खास्तगी की कार्रवाई …
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ अंतरिम सरकार के जारी फरमान के साथ ही सरकार के हुक्म की तामील बजाने का दौर भी शुरू हो चुका है। इसी क्रम में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर सरकारी कार्रवाई की गाज भी गिरनी शुरू हो गई है।
शुरुआत में सहायक पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक और डीआईजी रैंक के सौ से ज्यादा हिंदू पुलिस अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। इनकी जगह उग्रवादियों, विशेषकर जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों को नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है।