डिजिटल डेस्क : Earthquake : बिहार- दिल्ली लेकर नेपाल और तिब्बत तक कांपी धरती, तीव्र्ता रही 7.1। मंगलवार की सुबह बिहार से लेकर दिल्ली-एनसीआर और नेपाल लेकर तिब्बत तक धरती कांपी तो लोग सिहर उठे। मंगलवार सुबह 6 बजकर 35 मिनट...
डिजिटल डेस्क : Earthquake : बिहार- दिल्ली लेकर नेपाल और तिब्बत तक कांपी धरती, तीव्र्ता रही 7.1। मंगलवार की सुबह बिहार से लेकर दिल्ली-एनसीआर और नेपाल लेकर तिब्बत तक धरती कांपी तो लोग सिहर उठे। मंगलवार सुबह 6 बजकर 35 मिनट से सुबह 6 बजकर 40 मिनट के बीच लोगों ने भूकंप के तेज झटके महसूस किए।
नेपाल और तिब्बत में भी लोगों ने भूकंप के यह झटके महसूस किए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.1 मापी गई है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, नेपाल के लोबुचे से 84 किलोमीटर उत्तर-उत्तर-पश्चिम में भूकंप आया। बताया जा रहा है कि इसकी गहराई 10 किमी थी।
नेपाल में उठे भूकंप का असर बिहार में सबसे ज्यादा दिखा
नेपाल में मंगलवार सुबह-सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। सुबह छह बजकर 35 मिनट पर आए भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता 7.1 मापी गई। भूकंप के झटके भारत के कई राज्यों में भी महसूस किए गए। इसकी जद में सबसे ज्यादा बिहार आया। इस दौरान डरे सहमे लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए।
फिलहाल किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। हालांकि, 7 से ऊपर की तीव्रता के भूकंप के झटक खतरनाक श्रेणी में आते हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, नेपाल के काठमांडू, धाडिंग, सिंधुपालचौक, कावरे, मकवानपुर और कई अन्य जिलों में झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र नेपाल बताया जा रहा है।
भूकंप के केंद्र और उसकी तीव्रता की बारीकी को जानें...
वैज्ञानिक भाषा में Earthquake यानी भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है।
लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा। इसी क्रम में भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है।
रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।
हिमालय पर बसे नेपाल में बार-बार Earthquake यानी भूकंप आने के मायने समझें...
हाल के दिनों में भारत सहित कई देशों में भूकंप की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है। भूविज्ञानियों के मुताबिक, पृथ्वी सात टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है। ये प्लेटें लगातार अपनी जगह पर घूमती रहती हैं। हालांकि, कभी-कभी उनके बीच टकराव या घर्षण होता है। यही कारण है कि हमें भूकंप का अनुभव होता है।
साल 2015 में भी नेपाल में 7.8 से 8.1 तीव्रता वाले भूकंप के झटके आए थे। भूकंप का केंद्र पूर्वी नेपाल था। वाारणसी स्थित बीएचयू के भूविज्ञानियों का कहना है कि हिमालय रेंज में टेक्टोनिक प्लेट अस्थिर होने के चलते भूकंप के झटके महसूस होते रहेंगे।
बीएचयू के भूविज्ञानियों के मुताबिक, पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
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