बोकारो : बोकारो में बिना प्लान के पुल बनाने का धंधा पुराना है. जनता की समस्या बताकर पुल जितना जल्दी पास होता है उसका आवंटन भी उताना हीं जल्दी आता है. इसके बाद जब संपर्क पथ बनाने की बात होती है तो फंड की कमी, डिजाइन और डीपीआर की खोज होने लगती है. यही वजह है कि लाखों की लागत से कई पुल बनने के बाद भी यहां के लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है. बोकारो के चेचका धाम के समीप पांच वर्ष पूर्व बना लाखों का पुल अब एप्रोच पथ नहीं बनने के कारण बेकार हो गया है. महज एक किलोमीटर यदि पथ बन जाता तो तीन विधानसभा की दूरी कम हो जाती, जबकि दो राज्यों पश्चिम बंगाल और झारखंड भी जुड़ जाता.
बता दें कि यह पुल चेचका धाम से आधा किमी दूर दामोदर नदी पर बना है. यह जगह तीन विधानसभाओं क्रमशः बाघमारा, चंदनकियारी, बोकारो के मुख्य सीमा पर स्थित हैं. यही नहीं पुल बनने के बाद रोजगार की भी असीम संभावनाएं हैं. चूंकि चेचका धाम पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है.बता दें कि यहां पौराणिक महत्व एवं पहाड़ी की गोद मे भगवान विष्णु का पदचिह्न काफी पुराना है. जहां लाखो श्रद्धालु आते हैं लेकिन सड़क नहीं रहने के कारण लोगो को गाड़ियों से उतरकर पैदल पुल तक पहुंचना पड़ता हैं. लिहाजा आए दिन दुर्घनाएं होती रहती हैं. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग एनओसी नहीं दिया. जिसके कारण एप्रोच पथ नहीं बना.
रिपोर्ट : चुमन