रांची: झारखंड की मंईयां सम्मान योजना में पहली बार बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। तमाड़ प्रखंड के पांडरानी गांव में कार्तिक पातर नामक व्यक्ति ने 112 महिलाओं के बैंक खाते की जगह अपना खाता नंबर जोड़कर योजना की पहली किस्त हड़प ली। दिसंबर में भेजी गई ₹2500 की पहली किस्त कार्तिक के खाते में चली गई। सत्यापन के दौरान जिला प्रशासन ने इस घोटाले का खुलासा किया।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
जांच में पता चला कि प्रज्ञा केंद्र संचालक श्रीकांत पातर, जो कार्तिक पातर का भाई है, इस गड़बड़ी में शामिल था। ऑनलाइन आवेदन के दौरान लाभुकों के बैंक खाता नंबर बदलकर कार्तिक का नंबर डाल दिया गया।
बड़े पैमाने पर गड़बड़ी, 85,000 लाभुक होल्ड पर
रांची जिले में भी योजना में गड़बड़ी के संकेत मिले हैं। दिसंबर में 4,51,083 लाभुकों के खातों में ₹2500 की राशि ट्रांसफर की गई थी। लेकिन सत्यापन के बाद 85,000 लाभुकों को होल्ड पर डाल दिया गया क्योंकि कई अपात्र लोगों को भी योजना का लाभ मिल रहा था।
कार्तिक पातर गिरफ्तार, घर से ₹2.25 लाख बरामद
जिला प्रशासन ने इस फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड कार्तिक पातर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। छापेमारी के दौरान उसके घर से ₹2.25 लाख नकद बरामद हुए हैं।
अब प्रशासन ने सत्यापन की प्रक्रिया को और सख्त कर दिया है। आगे से योजना का सत्यापन आंगनबाड़ी सेविकाएं करेंगी, जिससे इस तरह की गड़बड़ी को रोका जा सके।