रांची. स्वच्छ वातावरण जरूरी है सही मायने में विकसित भारत के लिए और सीयूजे कटिबद्ध है झारखंड और राष्ट्र के संपूर्ण विकास के लिए। यह बात कुलपति सीयूजे, प्रो. क्षिति भूषण दास ने सीयूजे में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार, “क्लीन एनवायरमेंट इनविजनड टुवर्ड्स विकसित भारत” के उद्घाटन सत्र में कही।
यह दो दिवसीय (11-12 March 2025) सेमिनार पर्यावरण विज्ञान विभाग, सीयूजे द्वारा आयोजित किया जा रहा है। कुलपति ने आगे कहा कि सीयूजे में पर्यावरण, भूविज्ञान, भूगोल शास्त्र, एनर्जी इंजीनियरिंग और कई विशेषज्ञ विभाग हैं, जो झारखंड और देश के समग्र विकास में योगदान दे रहे हैं और साथ ही पर्यावरण जैसे जटिल मुद्दे पर भी सही समाधान दे सकते हैं।
सेमिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन, पी. एम. प्रसाद भी मौजूद थे। उन्होंने कोल इंडिया के पर्यावरण के प्रति सजगता और कटिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कोल इंडिया के विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी और कहा की इंडस्ट्री-एकेडमिया और सभी को जोड़कर एक समग्र योगदान से ही पर्यावरण जैसे जटिल मुद्दे का समाधान हो सकता है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि पूर्व भारतीय वन सेवा अधिकारी (IFoS) श्री अजय कुमार रस्तोगी, चेयरमैन टास्क फोर्स – सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन एंड ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, झारखंड सरकार, ने पर्यावरण के संबंध में झारखंड राज्य की अच्छाई और चुनौतियों पर अपना विचार रखा। लगातार बढ़ती गर्मी से देश के जीडीपी का बहुत बड़ा नुकसान होता है। उन्होंने कहा जलवायु परिवर्तन के संबंध में अभी के युवाओं और हम सभी को एक ठोस कदम उठाने चाहिए।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रो. यू सी मोहंती, शांति स्वरूप भटनागर सम्मान से सम्मानित, डिस्टिंग्विश्ड प्रोफेसर, शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय, ओडिशा ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने सौर, वायु और अन्य प्राकृतिक ऊर्जाओं के इस्तेमाल पर बल दिया और इन्हे स्वर्ग के ऊर्जा श्रोत की संज्ञा दी।
प्रो. मनोज कुमार, संकायाध्यक्ष, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन संकाय ने उद्घाटन में सबका स्वागत किया और सेमिनार की रूपरेखा पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम के संयोजक, डॉ भास्कर सिंह, विभागाध्यक्ष, पर्यावरण विभाग ने सेमिनार की महत्ता पर ज़ोर दिया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनुराग लिंडा ने दिया और कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. निर्मली बोरदोलोई ने किया। कार्यक्रम में प्रो. ए. सी पांडे, प्रो. के. बी पांडा, प्रो. आर. के दे, बी बी मिश्रा और डॉ. सुशील कुमार शुक्ला मौजूद थे।