पटना : बिहार विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) 2025 की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं और इस बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की बिहार में लगातार सक्रियता सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। राहुल गांधी छह जून को एक बार फिर बिहार के नालंदा के साथ-साथ गयाजी में होंगे। नालंदा में जहां वे अति पिछड़ा वर्ग (OBC-EBC) सम्मेलन को संबोधित करेंगे। पिछले पांच महीनों में यह उनका छठा बिहार दौरा होगा जो कांग्रेस की आक्रामक रणनीति की प्लानिंग को दर्शाता है। इस बार सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी की यह ‘अकेली उड़ान’ महागठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव से दूरी की वजह से है, या यह कांग्रेस की स्वतंत्र पहचान बनाने की रणनीति का हिस्सा है।
नालंदा जो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश का गृह जिला है
नालंदा जो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है। ओबीसी और ईबीसी वोटरों का गढ़ माना जाता है। बिहार की कुल आबादी में ओबीसी और ईबीसी का हिस्सा करीब 36 प्रतिशत है, जो किसी भी गठबंधन की जीत के लिए निर्णायक है। राहुल गांधी की नालंदा में यह यात्रा ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ और ‘शिक्षा न्याय संवाद’ जैसे अभियानों का हिस्सा है, जिसके जरिए कांग्रेस युवाओं, दलितों और अति पिछड़ा वर्ग को लुभाने की कोशिश कर रही है। इस बार राजगीर में ओबीसी और ईबीसी सम्मेलन में राहुल गांधी नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए रोजगार, शिक्षा और सामाजिक न्याय के मुद्दों को उठाएंगे।
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वहीं कांग्रेस अतिपिछड़ा विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अनिल जहिन ने पत्रकार वार्ता में बताया कि राहुल गांधी पहाड़ पुरुष दशरथ मांझी के घर भी जाएंगे। उनके पुत्र भागीरथ मांझी से मुलाकात करेंगे। राहुल गांधी का यह अभियान खासतौर पर समाज के वंचित वर्गों जैसे कि पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए चलाया जा रहा है। वे मानते हैं कि इन वर्गों को उनका संवैधानिक हक दिलाना ही एक सशक्त और समानता आधारित भारत के निर्माण की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
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