रांची: जेपीएससी द्वारा आयोजित 11वीं से 13वीं सिविल सेवा संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। एक ओर जहां इस परीक्षा का इंटरव्यू चरण जारी है, वहीं दूसरी ओर इसके मूल्यांकन को लेकर गहरी आपत्तियाँ सामने आई हैं। मुख्य परीक्षा में शामिल 73 अभ्यर्थियों ने मूल्यांकन प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए झारखंड हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि परीक्षा में उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन आयोग के एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) के विरुद्ध किया गया। रांची में एक याचिकाकर्ता राजेश प्रताप ने बताया कि मूल्यांकन ऐसे शिक्षकों से करवाया गया, जो निर्धारित अनुभव की शर्तें पूरी नहीं करते थे। कुछ मूल्यांकनकर्ताओं के पास स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर का अपेक्षित शिक्षण अनुभव नहीं था, जबकि एसओपी के अनुसार ग्रेजुएट शिक्षकों को 10 और पीजी शिक्षकों को कम से कम 5 वर्ष का अनुभव अनिवार्य है।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उत्तरपुस्तिकाएं डिजिटल माध्यम से मूल्यांकन के लिए स्कैन की गईं, जबकि एसओपी में मैनुअल मूल्यांकन का स्पष्ट उल्लेख है। तीसरा प्रमुख आरोप यह है कि मूल्यांकन की प्रक्रिया में एक थर्ड पार्टी एजेंसी को शामिल किया गया, जबकि संवैधानिक निकाय की परीक्षा प्रक्रिया में ऐसा करना एसओपी के विरुद्ध है।
गौरतलब है कि इस परीक्षा का परिणाम 22 मई 2025 को घोषित किया गया था और उसी के बाद से कई छात्रों ने मूल्यांकन पर प्रश्नचिह्न खड़े किए। छात्रों का कहना है कि रिजल्ट आने से पहले ही कथित तौर पर पैसे लेकर पास कराने की बातें सामने आ चुकी थीं, जिन पर शुरुआत में किसी ने खास ध्यान नहीं दिया।
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जेपीएससी से चार हफ्तों के भीतर प्वाइंट वाइज जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख 23 जुलाई तय की गई है। हालांकि इस बीच इंटरव्यू और संभावित नियुक्ति की प्रक्रिया जारी रहेगी, जिससे अभ्यर्थियों की चिंता और भी बढ़ गई है।
विवाद के बीच जेपीएससी का पक्ष अब तक सामने नहीं आया है, लेकिन आने वाले दिनों में आयोग के जवाब और कोर्ट की दिशा से यह तय होगा कि मूल्यांकन प्रक्रिया में वाकई गड़बड़ी हुई या नहीं।
जेपीएससी परीक्षा में गड़बड़ी का यह पहला मामला नहीं है। नियुक्ति परीक्षाओं में पारदर्शिता को लेकर झारखंड ही नहीं, बल्कि बिहार, यूपी जैसे अन्य राज्यों में भी बार-बार सवाल उठते रहे हैं। अब देखना यह है कि न्यायालय के हस्तक्षेप से जेपीएससी की प्रक्रिया पर क्या असर पड़ता है और इस परीक्षा के चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर कोई कानूनी बाधा उत्पन्न होती है या नहीं।