Thursday, July 3, 2025

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देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को, शुभ योग में चातुर्मास होगा प्रारंभ; 4 माह तक वर्जित रहेंगे मांगलिक कार्य

रांची: 6 जुलाई 2025 को देवशयनी एकादशी के पावन अवसर पर 119 दिनों का चातुर्मास शुभ और सौम्य योग में आरंभ होगा। इस एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें योगनिद्रा में शयन कराया जाता है। इसके साथ ही शुभ कार्यों की विराम अवधि प्रारंभ हो जाती है, जो देवउठनी एकादशी (कार्तिक माह) तक चलता है।

मांगलिक कार्यों पर रहेगा विराम
पंडित प्रणव मिश्रा ने बताया कि चातुर्मास काल में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस दौरान साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर भजन, कीर्तन व तपस्या में लीन रहते हैं।

श्रावण मास का होगा विशेष महत्व
चातुर्मास का विशेष आकर्षण श्रावण मास होता है, जो भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। रुद्राभिषेक, व्रत-उपवास और शिव उपासना से इस माह में आरोग्य, सुख-समृद्धि, दीर्घायु और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।

व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

  • देवशयनी एकादशी व्रत का प्रारंभ: 5 जुलाई को शाम 6:59 बजे

  • व्रत समाप्ति: 6 जुलाई को रात 9:16 बजे तक
    चूंकि यह एकादशी उदयातिथि में पड़ रही है, इसलिए व्रत 6 जुलाई को ही रखा जाएगा।

पूजा विधि:
महंत ओम प्रकाश शरण के अनुसार, शालिग्राम जी का पंचामृत व गंगाजल से अभिषेक, पीले वस्त्र अर्पण, फूल, फल, धूप, कपूर और नैवेद्य चढ़ाकर पूजन करें। अंत में आरती और पंजीरी का भोग लगाकर पूजा संपन्न करें।

व्रत से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति
ज्योतिषाचार्य शालिनी वैद्य के अनुसार, देवशयनी एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों का नाश करता है। यह आत्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।