रांची: झारखंड के सरायकेला-खरसावां ज़िले के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत चिलगू पंचायत के तुलिन और काठजोड़ गांवों में डायरिया का कहर टूट पड़ा है। दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी की तराई में बसे इन आदिवासी बहुल गांवों में अब तक 20 से अधिक ग्रामीण डायरिया की चपेट में आ चुके हैं। गांव के सामुदायिक भवन में अस्थायी रूप से इलाज की व्यवस्था की गई है, जहां मरीजों को ज़मीन और खटिया पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है।
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, कई पीड़ित निजी डॉक्टरों से इलाज करवा रहे हैं, जबकि सरकारी डॉक्टर गांव में आकर औपचारिक जांच के बाद चले जा रहे हैं। वहीं, स्वास्थ्य उपकेंद्रों में इन मरीजों को अब तक स्थानांतरित नहीं किया गया है, जिससे इलाज की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं।
गांव में फैले डायरिया का कारण हालिया भारी बारिश को माना जा रहा है। बारिश के चलते खेतों, घरों और आंगनों में जलजमाव की स्थिति बन गई है। मच्छरों के प्रकोप और दूषित पानी पीने की वजह से लोग उल्टी-दस्त और कमजोरी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत के सईया की मनमानी और लापरवाही से स्थिति बिगड़ी है। ग्रामीणों ने शुरुआत में समस्या की जानकारी संबंधित अधिकारियों को नहीं दी, जिससे समय पर रोकथाम नहीं हो सकी। जब चांडिल स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना मिली, तब जाकर गांव में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव और कुछ दवाइयों का वितरण शुरू किया गया।
ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द पूरे गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाकर समुचित इलाज कराया जाए और डायरिया के फैलाव को रोका जाए, अन्यथा स्थिति और गंभीर हो सकती है।




































