रांची :झारखंड के विश्वविद्यालयों में कार्यरत सैकड़ों असिस्टेंट प्रोफेसरों की पदोन्नति एक बार फिर नियमों की उलझन में फंसती नजर आ रही है। जेपीएससी ने राज्य के विश्वविद्यालयों से यूजीसी रेगुलेशन 2010 के तहत लंबित प्रमोशन प्रक्रिया के लिए 13 साल पुराना अकादमिक परफॉर्मेंस इंडेक्स (API) रिकॉर्ड 30 जुलाई 2025 तक उपलब्ध कराने को कहा है।
जेपीएससी ने 8 जुलाई को इस आशय का पत्र सभी विश्वविद्यालयों को भेजा है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि संबंधित शिक्षकों के API रिकॉर्ड की पुष्टि उनके कॉलेज के प्राचार्य या विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा की जाए। इस प्रक्रिया के तहत असिस्टेंट प्रोफेसरों को कैटेगरी-1 (6000 ग्रेड पे से 7000 ग्रेड पे) में प्रमोशन दिया जाना है।
17 साल से प्रतीक्षारत हैं प्रोन्नति के पात्र शिक्षक
गौरतलब है कि इन शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2007-08 के आसपास हुई थी, लेकिन यूजीसी रेगुलेशन-2010 को झारखंड में लागू करने और प्रमोशन की प्रक्रिया तय करने में राज्य सरकार और आयोग को एक दशक से अधिक का समय लग गया।
अब अचानक 13 वर्ष पुराना रिकॉर्ड मांगे जाने से शिक्षक समुदाय में नाराजगी है। शिक्षकों ने कहा है कि यूजीसी रेगुलेशन-2010 के तहत कैटेगरी-1 की पदोन्नति के लिए API गणना की आवश्यकता नहीं है, फिर भी रिकॉर्ड तलब किया जाना अनुचित है।
शिक्षकों का आक्रोश: “नियमों का गलत प्रयोग”
शिक्षकों का कहना है कि पहले से ही प्रमोशन में 10 वर्षों की देरी हो चुकी है और अब 13 साल पुराने दस्तावेज जुटाना व्यावहारिक नहीं है। कई कॉलेजों में रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं या समय के साथ क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। ऐसे में प्रमोशन की प्रक्रिया फिर से रुक सकती है।
पुराने नियमों के अनुसार हो प्रक्रिया
शिक्षकों ने जेपीएससी और राज्य सरकार से मांग की है कि यूजीसी रेगुलेशन-2010 के अनुरूप कैटेगरी-1 के लिए API का निर्धारण न किया जाए, और जिन शिक्षकों की पात्रता पहले ही पूरी हो चुकी है, उन्हें शीघ्र प्रमोशन दिया जाए।