Friday, July 18, 2025

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झारखंड में 8.24 लाख राशन कार्ड पर मंडरा रहा विलोपन का खतरा, ‘भोजन का अधिकार’ अभियान ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

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रांची: झारखंड में जन वितरण प्रणाली (PDS) के तहत लाखों जरूरतमंदों का राशन से जुड़ाव खतरे में पड़ गया है। राज्य के 8.24 लाख राशन कार्ड ऐसे हैं जिनमें एक भी सदस्य का ई-केवाईसी अब तक नहीं हो पाया है। वहीं, कुल 74.6 लाख लाभुकों का ई-केवाईसी लंबित है। इस स्थिति से चिंतित होकर ‘भोजन का अधिकार अभियान’ ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर राशन कार्ड विलोपन (डिलीशन) पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।

तकनीकी व व्यवस्थागत बाधाएं:
ई-केवाईसी प्रक्रिया को लेकर सामने आ रही प्रमुख समस्याओं में वृद्धों और दिव्यांगों के फिंगरप्रिंट का सत्यापन न हो पाना, खराब ई-पॉस मशीनें, कमजोर इंटरनेट कनेक्टिविटी, बच्चों के पास बाल आधार होना और ‘मेरा ई-केवाईसी’ ऐप की विफलता शामिल हैं।
ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में टूजी नेटवर्क व तकनीकी संसाधनों की कमी से स्थिति और भी जटिल हो गई है। इस कारण कई जरूरतमंद व सुदूर इलाकों के लाभुक समय पर ई-केवाईसी नहीं करा सके हैं।

अभियान की मांग:

  • ई-केवाईसी में आ रही तकनीकी समस्याओं को दूर किया जाए

  • राशन कार्ड विलोपन पर तत्काल रोक लगाई जाए

  • आदिम जनजातियों और अत्यंत जरूरतमंदों को बिना सत्यापन भी राशन सुरक्षा दी जाए

  • भोजन का अधिकार सुनिश्चित किया जाए ताकि कोई भी भूखा न रहे

अभियान की चेतावनी:
भोजन का अधिकार अभियान ने सरकार को आगाह किया है कि यदि इन राशन कार्डों का विलोपन हुआ तो लाखों गरीब, वृद्ध, दिव्यांग, बच्चे और आदिवासी समुदाय भूख और कुपोषण की चपेट में आ सकते हैं। विशेषकर आदिम जनजाति परिवारों को बिना सत्यापन के भी सुरक्षित रखने की मांग की गई है।

केंद्र का निर्देश और राज्य की स्थिति:
केंद्र सरकार ने 30 जून 2025 तक ई-केवाईसी अनिवार्य कर दिया था। हालांकि, तकनीकी परेशानियों और ज़मीनी स्तर की समस्याओं ने इस प्रक्रिया को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।