Desk. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के तहत ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि, चुनाव आयोग को निर्देश दिया गया है कि वह इस प्रक्रिया में आधार कार्ड और वोटर फोटो पहचान पत्र जैसे दस्तावेजों को शामिल करे।
बड़े पैमाने पर नाम जोड़ने की प्रक्रिया हो: सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अगुआई वाली पीठ ने चुनाव आयोग से कहा कि यह प्रक्रिया “नाम काटने” की नहीं बल्कि “नाम जोड़ने” की होनी चाहिए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी दस्तावेज को पूरी तरह अविश्वसनीय बताकर खारिज नहीं किया जा सकता। “दुनिया का कोई भी पेपर जाली बनाया जा सकता है,” कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब आयोग ने आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए।
चुनाव आयोग की आपत्ति और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि वह राशन कार्ड को पहचान पत्र के तौर पर मान्यता देने में असमर्थ है, जबकि वोटर आईडी पहले से फॉर्म पर प्रिंटेड होती है और आधार नंबर भरना अनिवार्य है। आयोग ने यह भी दोहराया कि सुप्रीम कोर्ट का ही एक पूर्व आदेश है कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है।
विपक्ष का आरोप
इस बीच, संसद परिसर में विपक्षी दलों ने SIR प्रक्रिया को लेकर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें प्रियंका गांधी भी शामिल रहीं। विपक्ष ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है और वोटरों के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं। राहुल गांधी ने भी बिहार में महागठबंधन द्वारा आयोजित बंद में हिस्सा लिया था।
चुनाव आयोग ने जारी किए आंकड़े
चुनाव आयोग ने रविवार को बताया कि बिहार के 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से 91.69 फीसदी यानी 7.24 करोड़ ने गणना फॉर्म भरकर जमा किया है। आयोग के अनुसार 22 लाख मतदाता मृत पाए गए, 36 लाख मतदाता दूसरे राज्यों में बस चुके हैं। 7 लाख ऐसे वोटर मिले जो डुप्लीकेट एंट्री में थे। चुनाव आयोग ने इसे पूरी तरह सफल अभियान बताया है और बताया कि 1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की जाएगी। इसके बाद आपत्ति और दावे के जरिए नागरिक नाम जोड़ या हटवा सकेंगे।
सुनवाई की अगली तारीख मंगलवार तय
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को करेगा, जिसमें विशेष गहन पुनरीक्षण की संवैधानिक वैधता और प्रक्रिया पर विस्तृत बहस होगी। अदालत ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों से यह भी पूछा कि वे बहस के लिए कितना समय लेंगे।
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