रांची:झारखंड की राजनीति में आदिवासी समाज के प्रेरणास्रोत दिशोम गुरु शिबू सोरेन का सोमवार सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पुष्टि करते हुए कहा कि “आज मैं शून्य हो गया हूं, आदरणीय गुरुजी अब हमारे बीच नहीं रहे।” उनका पार्थिव शरीर दिल्ली से उनके पैतृक गांव रामगढ़ के नेमरा लाया जाएगा, जहां अंतिम संस्कार किया जाएगा।
81 वर्षीय दिशोम गुरु लंबे समय से बीमार चल रहे थे और 19 जुलाई से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे। उनके इलाज में न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ लगातार जुटे थे। कई विदेशी डॉक्टरों से भी परामर्श लिया गया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद सोमवार सुबह 8:56 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पिछले कुछ हफ्तों से दिल्ली और रांची के बीच लगातार आना-जाना कर रहे थे। एक बेटे के साथ-साथ एक आंदोलनकारी की जिम्मेदारी निभाते हुए वे अपने पिता को बचाने की हरसंभव कोशिश में लगे रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह क्षति सिर्फ पारिवारिक नहीं, बल्कि पूरे झारखंड और देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
शिबू सोरेन न केवल झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक नेताओं में से थे, बल्कि उन्होंने आदिवासी अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। एक समय केंद्रीय मंत्री और तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे सोरेन झारखंड आंदोलन की वह आवाज थे, जिसने साहूकारों और शोषण के खिलाफ एक मजबूत जनचेतना खड़ी की।
उनके निधन की खबर फैलते ही राज्यभर में शोक की लहर दौड़ गई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित देशभर के कई वरिष्ठ नेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
दिशोम गुरु के अंतिम दर्शन के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता, नेता, समर्थक और आम लोग बड़ी संख्या में नेमरा गांव पहुंचने लगे हैं। झारखंड ने आज एक अभिभावक, एक आंदोलनकारी और एक मार्गदर्शक को खो दिया है।