रामगढ़: रामगढ़ जिले का नेमरा गांव सोमवार को पूरी तरह शोक में डूब गया। झारखंड आंदोलन के जननायक और झामुमो सुप्रीमो दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की खबर से गांव का हर कोना गमगीन है। ग्रामीणों की आंखें नम हैं और हर चेहरा उदासी से भर गया है।
मंगलवार दोपहर दो बजे उनके पैतृक गांव नेमरा में आदिवासी परंपराओं के अनुसार उनका अंतिम संस्कार ठेकानाला में किया जाएगा। रांची से पार्थिव शरीर आने के बाद सबसे पहले तुलसी मंडप के समीप विधिपूर्वक पूजा-अर्चना होगी, फिर वहां से अंतिम यात्रा निकाली जाएगी, जो करीब 500 मीटर दूर स्थित ठेकानाला तक जाएगी। यहीं पर अंतिम संस्कार की सारी व्यवस्थाएं की गई हैं। इलाके को समतल कर विशेष मंच और सुरक्षा व्यवस्था भी तैयार की गई है।
गांव के पास स्थित लुकड्या टांड़ में शहीद सोबरन मांझी की प्रतिमा के पास हेलीपैड बनाया गया है, जहां से वीवीआईपी लोगों के आने की संभावना है। नेमरा के प्रवेश द्वार पर हजारों गाड़ियों की पार्किंग व्यवस्था की गई है। खाली मैदान में अलग से वीआईपी पार्किंग, कंट्रोल रूम और अन्य लॉजिस्टिक सपोर्ट की व्यवस्था की गई है। पूरे आयोजन की निगरानी एसडीओ अनुराग तिवारी कर रहे हैं।
सोमवार को पूरे राज्य भर से झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता, मंत्री, सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय लोग नेमरा पहुंचे और शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान मंत्री योगेंद्र प्रसाद, फागू बेसरा, झामुमो नेता बिनोद किस्कू, मुमताज मंसूरी, मुखिया जीतलाल टुडू, बबलू करमाली और आलम अंसारी जैसे कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे। वहीं चंदवा टुंगरी पहाड़ और ढेका कोचा की तराई में बसे संताली परिवारों ने भी अपने घरों के बाहर एकत्र होकर शोक प्रकट किया।
गुरुजी की अंतिम यात्रा पूरे राज्य के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा, जहां हजारों लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचेंगे। यह न केवल एक नेता की विदाई है, बल्कि झारखंड की आत्मा के एक युग का अंत भी है।