रांची: झारखंड के लिए यह अच्छी खबर है कि राज्य की सूखी धरती अब राहत की ओर बढ़ रही है। केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में भूजल स्तर में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2015 की तुलना में मई 2025 तक राज्य के 59% कुओं में जलस्तर में वृद्धि हुई है, जबकि 41% कुओं में गिरावट दर्ज की गई है।
बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, 46.8% कुओं में जल स्तर दो मीटर तक, 9.1% कुओं में दो से चार मीटर तक और 2.7% कुओं में चार मीटर से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। देवघर, गिरिडीह, बोकारो, कोडरमा, पूर्वी सिंहभूम, लातेहार, पलामू, सिमडेगा, दुमका, गोड्डा, पाकुड़, रांची, खूंटी, हजारीबाग, गुमला जैसे जिले इस सुधार में सबसे आगे हैं।
582 कुओं का हुआ आकलन
केंद्रीय भूजल बोर्ड ने मार्च 2024 तक राज्य के 582 चालू कुओं का मूल्यांकन किया। इसमें सामने आया कि खूंटी, सरायकेला-खरसावां, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम जैसे जिलों में शून्य से दो मीटर, जबकि गिरिडीह, रामगढ़, गढ़वा और पलामू जैसे इलाकों में 2-5 मीटर और अधिकांश अन्य क्षेत्रों में 5-10 मीटर की गहराई पर जल पाया गया।
2024 की तुलना में भी दिखा सुधार
मई 2024 की तुलना में मई 2025 में 56.9% कुओं के जल स्तर में वृद्धि दर्ज की गई है। गिरिडीह, कोडरमा, देवघर, बोकारो, रांची, चतरा, साहिबगंज, रामगढ़ सहित 20 से अधिक जिलों में दो मीटर तक की बढ़ोतरी देखी गई है। वहीं 7.7% कुओं में दो से चार मीटर तक जल स्तर बढ़ा है।
कहां पर दिखी गिरावट?
हालांकि, चतरा और पाकुड़ जैसे कुछ जिलों में सीमित क्षेत्रों में कुओं का जल स्तर गिरा है। यह गिरावट मुख्यतः राज्य के मध्य और उत्तर-पूर्वी हिस्से में दर्ज की गई है।
नियमित निगरानी जारी
भूजल बोर्ड की प्रभारी अनिता कुजूर ने बताया कि राज्य में तिमाही आधार पर जल स्तर की निगरानी की जा रही है। यह डेटा राज्य में जल प्रबंधन और जल संरक्षण नीतियों के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध हो रहा है।
यह रिपोर्ट झारखंड के लिए एक सकारात्मक संकेत है, खासकर ऐसे समय में जब देशभर में जल संकट की स्थिति बढ़ती जा रही है। आने वाले समय में यदि इसी तरह मानसूनी बारिश सामान्य रही, तो राज्य में भूजल संरक्षण की दिशा में और बड़ी राहत मिल सकती है।
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