रांची: झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) सोमवार को विशेष कोर्ट में निलंबित आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे समेत 12 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर सकता है। 18 अगस्त को इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने की 90 दिनों की समय सीमा पूरी हो रही है। ऐसे में एसीबी के लिए यह अनिवार्य हो गया है। अगर समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं हुई तो जेल में बंद आरोपियों को कानूनी लाभ मिल सकता है।
एसीबी ने अब तक इस शराब घोटाले प्रकरण में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह (वर्तमान में जमानत पर), पूर्व महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार, महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व आयुक्त उत्पाद अमित प्रकाश, प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन के नीरज कुमार सिंह, छत्तीसगढ़ के शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया, प्रिज्म होलोग्राफी कंपनी के विधु गुप्ता, श्री ओम साईं बेवरेजेज के अतुल कुमार सिंह और मुकेश मनचंदा शामिल हैं।
इन सभी पर आरोप है कि मई 2022 में लागू की गई नई उत्पाद नीति के बाद फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी और दस्तावेजों में हेरफेर कर सामूहिक अपराध किया गया और इसके कारण राज्य को 38.44 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हुई।
चौबे पर गंभीर आरोप
चार्जशीट में मुख्य आरोप पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे पर है। उन पर आरोप है कि प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा दी गई फर्जी बैंक गारंटी की सत्यापन प्रक्रिया जानबूझकर नहीं कराई गई। आरबीआई द्वारा निर्धारित एसएफएमएस सिस्टम से जांच करने पर यह तुरंत फर्जी साबित हो सकती थी। लेकिन विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
जानकारी होने के बावजूद सार्वजनिक धन को बचाने के लिए न तो निवारक कार्रवाई की गई और न ही सुधारात्मक कदम। विनय कुमार चौबे लंबे समय तक उत्पाद सचिव, जेएसबीसीएल के उत्पाद आयुक्त और प्रबंध निदेशक रहे। इस दौरान विभागीय नीति निर्माण, प्रशासन और संचालन पर उनका नियंत्रण रहा, जिसके चलते प्लेसमेंट एजेंसियों के चयन, पर्यवेक्षण और वित्तीय नियमों पर उनका सीधा प्रभाव था।
Highlights