कोयला कर्मियों का एक्सग्रेसिया 25 लाख और दुर्घटना बीमा 1 करोड़ तक बढ़ा। झारखंड समेत देशभर में नई सुविधाएं 17 सितंबर से लागू होंगी।
रांची: कोयला मंत्रालय ने कोयला कर्मियों और उनके परिवारों के हित में एक बड़ा निर्णय लिया है। अब तक 15 लाख रुपये तक सीमित रहने वाला एक्सग्रेसिया भुगतान बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया जाएगा। साथ ही, सभी स्थायी और अनुबंधित कर्मियों के लिए मौजूदा बीमा कवर के अतिरिक्त 1 करोड़ रुपये का दुर्घटना बीमा भी लागू किया गया है। यह नई व्यवस्था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस 17 सितंबर से लागू होगी।
कोयला और खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने घोषणा करते हुए कहा कि यह फैसला देशभर के लाखों कोल वर्कर्स और उनके परिवारों के जीवन में विश्वास और सुरक्षा की भावना देगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार देश को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ले जा रही है और कोयला क्षेत्र इसमें अहम भूमिका निभा रहा है।
यूनिफॉर्म व्यवस्था की शुरुआत
मंत्री ने यह भी बताया कि कोल इंडिया और सभी पीएसयू में पहली बार यूनिफॉर्म की व्यवस्था लागू होगी। अब एक ही प्रकार की वर्दी वर्कर से लेकर सीएमडी तक सभी स्तरों पर अनिवार्य होगी। इससे कर्मचारियों में अनुशासन, एकता और समानता की भावना मजबूत होगी।
झारखंड और देश की कोल माइनिंग पर फोकस
जी किशन रेड्डी ने कहा कि भारत ने पहली बार 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन का ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया है, जिसमें झारखंड का योगदान अहम रहा। 2014 के बाद लागू सुधारों की वजह से उत्पादन में पारदर्शिता आई है और अब देश आयातित कोयले पर कम निर्भर हो रहा है।
उन्होंने बताया कि पिछले साल कोयला आयात में भारी कमी की गई, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत हुई। हालांकि स्टील सेक्टर जैसी कुछ कंपनियां तकनीकी कारणों से अभी भी आयातित कोयले पर निर्भर हैं।
Key Highlights
एक्सग्रेसिया 15 लाख से बढ़ाकर 25 लाख
अतिरिक्त 1 करोड़ रुपये दुर्घटना बीमा
17 सितंबर से लागू होंगे नए प्रावधान
कोल इंडिया और पीएसयू में यूनिफॉर्म की व्यवस्था
झारखंड का कोयला उत्पादन में अहम योगदान
32,000 करोड़ का नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन शुरू
जरिया मास्टर प्लान से 15 हजार परिवारों का पुनर्वास
1143 माइंस के माइन क्लोज़र पर केंद्र का फोकस
क्रिटिकल मिनरल मिशन पर जोर
मंत्री ने कहा कि मोबाइल, बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे आधुनिक उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले क्रिटिकल मिनरल्स की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत सरकार ने इसके लिए 32,000 करोड़ रुपये का नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन शुरू किया है। इसके तहत देश में ही खोज और उत्पादन बढ़ाया जा रहा है, साथ ही अर्जेंटीना और जांबिया जैसे देशों में भी भारत सरकार ने लिथियम ब्लॉक्स हासिल किए हैं।
जरिया मास्टर प्लान और पुनर्वास
झारखंड के धनबाद जिले में जरिया कोलफील्ड्स के लिए नया मास्टर प्लान मंजूर किया गया है। इसके तहत 2028 तक लगभग 15 हजार परिवारों का पुनर्वास किया जाएगा। मंत्री ने बताया कि पिछले प्लान की कमियों को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर इस बार इसे समय पर पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रही हैं।
माइन क्लोज़र पर सख्ती
कोयला मंत्रालय ने देशभर में 1143 माइंस के माइन क्लोज़र की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी है। रेड्डी ने कहा कि यह पहली बार है जब इतने बड़े पैमाने पर माइन क्लोज़र को नियमों के तहत लागू किया जा रहा है। इसका लाभ स्थानीय समुदायों, पर्यावरण और रोजगार सृजन के रूप में मिलेगा।
सुरक्षा पर विशेष ध्यान
हाल के वर्षों में कोयला खदानों में दुर्घटनाओं और अवैध खनन से हुई मौतों को लेकर मंत्री ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि तकनीकी उपायों और नई मशीनरी के जरिए इन घटनाओं को कम करने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है।
भविष्य की दिशा
जी किशन रेड्डी ने कहा कि कोल सेक्टर का मकसद मुनाफा कमाना नहीं बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है। भारत की 74% बिजली कोयले से बनने वाले थर्मल पावर प्रोजेक्ट्स पर आधारित है। आने वाले समय में कोयला उत्पादन के साथ-साथ सौर ऊर्जा और ग्रीन एनर्जी पर भी जोर दिया जाएगा।
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