Bokaro: दीपावली का पर्व आते ही चंदनक्यारी प्रखंड के आसानमनी गांव के करीब 110 कुम्हार परिवार मिट्टी के दीये, घरोंदे, बर्तन और खिलौने बनाकर शहरों की ओर निकलते हैं। यह परंपरागत पेशा इन परिवारों की पीढ़ियों से जीविका का प्रमुख साधन रहा है। हर साल की तरह इस बार भी त्योहार से चार महीने पहले ही वे काम में जुट गए थे, लेकिन लगातार बारिश ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया।
दीपावली का पर्व ग्राहक कम आने से कुम्हार परेशान :
मिट्टी के कारीगर दिलीप कुंभकार ने बताया कि वे 15 दिन पहले से बोकारो में रहकर दीये और बर्तन बेच रहे हैं। इस बार बिजनेस कमजोर है। उन्होंने कहा कि दीया 12 रुपए दर्जन, घरोंदा 250 रुपए से 450 रुपए और मिट्टी के बर्तन 110 रुपए तक बिक रहे हैं, लेकिन ग्राहक कम आ रहे हैं और मोलभाव ज्यादा हो रहा है।
बिक्री अब नहीं हो रही :
महिला कुम्हार मेनका देवी बताती हैं कि पहले जैसी बिक्री अब नहीं रही। वहीं जितेंद्र कुंभकार ने कहा कि बारिश से मिट्टी सूखने में परेशानी हुई और जगह की कमी रही। ग्राहक चीनी सामान पर मोलभाव नहीं करते, लेकिन हमारे हाथ से बने दीयों और बर्तनों पर जरूर करते हैं।
रिपोर्ट : चुमन कुमार
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