Saturday, August 2, 2025

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महिला दिवस पर कहानी (Mahila Diwas in Hindi)

महिला दिवस पर कहानी (Mahila Diwas in Hindi)

महिला दिवस पर कहानी (Mahila Diwas in Hindi)
हम भारतीय साल में दो बार “भारत माता” और “माँ दुर्गा” का पूजा करते है। इस बात गर्व है की हम भारत में रहते है।

महिला दिवस पर कहानी:- पुरे विश्व में भारत एक ऐसा देश है, जिसे माता के नाम से पुकारा जाता है। हम भारतीये अपने देश को “भारत माता” के नाम से पुकारते है। साथ ही इनकी पूजा करते है

हम भारतीय साल में दो बार “भारत माता” और “माँ दुर्गा” का पूजा करते है। इस बात गर्व है की हम भारत में रहते है। और अपने परम्परा और संस्कृति को साथ लेकर चलते है। आज “महिला दिवस” है। हमें यह देश अपने देश की हर स्त्री का सम्मान करना और पूजना सिखाता है।

हमारी भारतीय संस्कृति में भी महिलाओं के महत्व को बताया गया हैं एवं उन्हें देवी का रुप बताया है। हिन्दू शास्त्रों और पुराणों में भी महिलाओं की अदम्य शक्ति का वर्णन किया गया है।

महिला, एक मां, बहन, बेटी, बहु कई रुपों में अपना कर्तव्य निभाती हैं और संस्कारी एवं सभ्य समाज का निर्माण करती है। वास्तव में नारी सूरज की सुनहरी किरण और प्रेम का आगार है। हम सभी को महिलाओं को महत्व समझना चाहिए एवं उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day in Hindi)

महिलाओं के सम्मान में हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। महिला दिवस दुनिया की सभी महिलाओं को समर्पित है। घर और समाज से लेकर देश दुनिया भर में महिलाओं के महत्व को जानने के लिए महिला दिवस मनाता है।

आज महिलाएं समाज की बेड़ियों को तोड़कर देश की प्रगति में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। भारत में महिलाएं प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी रही हैं। देश और दुनिया के साथ साथ सभी के जीवन में महिलाओं का योगदान बहुत बड़ा है।

वह अपने परिवार के साथ साथ ऑफिस वर्क भी देखती हैं और देश और दुनिया भी चलाती हैं। जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं के इस अतुलनीय योगदान के लिए हर साल 8 मार्च को पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

महिला दिवस पर कविता (Mahila Diwas Par Kavita in Hindi)

सदियों से बंद मुट्ठी खुल रही है धीरे-धीरे..
बदल रही है स्त्री, अब धीरे..धीरे-धीरे..
वक्त की खिड़की के पर ठिठकी थी,
उसकी दुनिया..खोल रहे है
नए दरीचे, अब..धीरे-धीरे..

लिए हौसले गगन सम, उड़ान बादलों के पर,
छू रही है आसमान अब..धीरे-धीरे..
उम्मीदें है दिल में भारिसा भी खुद पर
रोकें न रोकें कदम बढती आगे धीरे-धीरे..

आत्मबल के संग करती बाधाओं को
पार तोड़ रही है कारा अब..धीरे-धीरे..
काबिलियत के बल पर आँचल को
परचम बनाकर गढ़ रही है
नई दुनिया अब..धीरे-धीरे..

महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं (Women’s Day Poem in Hindi)

कौन कहता हैं की,
नारी कमज़ोर होती है!!
आज भी उसके हाथ में,
अपने सारे घर को चलाने की डोर होती है!!

वो तो दफ्तर भी जाती हैं,
और अपने घर परिवार को भी संभालती हैं!!
एक बार नारी की ज़िंदगी जीके तो देखों,
अपने मर्द होने के घमंड यु उतर जायेंगा!!

अब हौसला बन तू उस नारी का,
जिसने ज़ुल्म सहके भी तेरा साथ दिया!!
तेरी ज़िम्मेदारियों का बोझ भी,
ख़ुशी से तेरे संग बाट लिया!!

चाहती तो वो भी कह देती,
मुझसे नहीं होता!!
उसके ऐसे कहने पर,
फिर तू ही अपने बोझ के तले रोता!!

महिला दिवस पर शायरी (Mahila Diwas Par Shayari in Hindi)

लडकिया चिड़ियाँ होती है, पर पंख नहीं होते,
लड़कियों के मायके भी होते है,
ससुराल भी होते है, पर घर नहीं होते,
माँ-बाप कहते है लड़कियां पराये घर की होती,
तो ससुराल वाले कहते है की ये पराये घर से आई है,
भगवान अब तू ही बता बेटियां किस घर के लिए बनाई है!!

दिन की रोशनी ख्वाबों को बनाने मे गुजर गई,
रात की नींद बच्चे को सुलाने मे गुजर गई,
जिस घर मे मेरे नाम की तख्ती भी नहीं,
सारी उम्र उस घर को सजाने में गुजर गई!!

अपमान मत करना नारियों का,
इनके बल पर तो जग चलता है,
अरे मर्द भी जन्म लेकर,
इन्ही की तो गोद में पलता है!!

लोग कहते है की नारी का कोई घर नहीं होता,
ये क्यों नहीं समझते, नारी के बिना घर-घर नहीं होता!!

पापा की वो लाड़ली, मां की है वो जान,
भाइयों की है मुस्कान,
परिवार की है शान,
प्यार से भरा उसका दिल,
करती सब पर जान कुर्बान,
ये है एक लड़की की पहचान!!

महिलाओं ने कलम से बढ़ाया क्रांतिकारियों का मनोबल (Mahila Diwas Stories in Hindi)

महिला दिवस पर कहानी (Mahila Diwas in Hindi):- देश की स्वतंत्रता के लिए पुरुषों के साथ स्त्रियों ने भी बराबर की सभागिता दी है। हिंदीसाहित्य में अनेक स्त्री रचनाओं ने स्वतंत्रता संग्राम के यज्ञ में स्वयम आहुति दी है। और साथ ही अपने सृजन से ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अपना तीव्र, दर्द व् सशक्त विरोध दर्ज किया। इनमें कुछ महिलाएं ये है-

सुभद्रा कुमारी चौहान हिंदी (Subhadra Kumari Chauhan Hindi)

सुभद्रा कुमारी चौहान (16 अगस्त 1904,15 फरवरी 1948) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। झाँसी की रानी (कविता) उनकी प्रसिद्ध कविता है। वे राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं। स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ सहने के पश्चात अपनी अनुभूतियों को कहानी में भी व्यक्त किया। ‘बिखरे मोती’ उनका पहला कहानी संग्रह है। इसमें भग्नावशेष, होली, पापीपेट, मंछलीरानी, परिवर्तन, दृष्टिकोण, कदम्ब के फूल, किस्मत, मछुये की बेटी, एकादशी, आहुति, थाती, अमराई, अनुरोध, व ग्रामीणा कुल 15 कहानियां हैं।

सुशीला दीदी इन हिंदी (Sushila Didi in Hindi)

सुशीला दीदी का जन्म पंजाब राज्य के गुजरात मण्डल के दन्तो चुहाड़ में 5 मार्च 1905 को हुआ था। 1926 में जब वह कॉलेज की पढ़ाई कर रहीं थी, उनमें देश प्रेम की भावना प्रबल हुई। इसके बाद वे भारत की स्वाधीनता के लिए काम करने वाले क्रांतिकारी दल में शामिल हो गईं। 1926 ई. में बिस्मिल, रोशन सिंह और राजेन्द्र लाहिड़ी को फाँसी दिये जाने की घटना ने सुशीला को क्रांतिकारी गतिविधियों की ओर मोड़ दिया।

वे भगवती चरण बोहरा के साथ हिन्दुस्तान शोसलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गईं। सान्डर्स की हत्या के बाद उन्होने भगत सिंह के छिपकर रहने के लिये कोलकाता में एक घर की व्यवस्था की। असेम्बली पर बम फेकने के बाद जब भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त पकड़े गये तो सुशीला दीदी और दुर्गा भाभी ने मिलकर अन्य क्रांतिकारियों को भाग जाने में सहायता की। १ अक्टूबर १९३१ को उन्होने अन्य के साथ मिलकर यूरोपीय सर्जेण्ट टेलर तथा उसकी पत्नी को गोली मारी और बच निकलीं।

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