घाटशिला चुनाव में JMM और BJP के बीच सीधा मुकाबला है। जयराम महतो की भूमिका अहम, वहीं कुम्हार, संताली और ओबीसी वोटर तय करेंगे जीत का समीकरण।
घाटशिला चुनाव में JMM-BJP के बीच सीधा मुकाबला, जेएलकेएम बनेगा ‘किंगमेकर’
घाटशिला Election 2025 घाटशिला: विधानसभा क्षेत्र का चुनाव इस बार पूरी तरह रोमांचक हो गया है। यहां झामुमो (JMM) और भाजपा (BJP) के बीच सीधा मुकाबला है, जबकि झारखंड लोक कल्याण मंच (JLKAM) नेता जयराम महतो का प्रदर्शन हार-जीत का मार्जिन तय करेगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जयराम महतो के लिए यह चुनाव उनकी राजनीतिक ताकत का ‘थर्मामीटर’ साबित हो सकता है।
घाटशिला Election 2025:दोनों दलों की पूरी ताकत झोंकी गई
झामुमो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधायक कल्पना सोरेन को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा की ओर से प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, चंपाई सोरेन, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी और कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य साहू समेत कई बड़े नेता प्रचार में जुटे हैं।
दोनों ही दल संताली और बांग्लाभाषी वोटरों पर फोकस कर रहे हैं। भाजपा जहां छोटे समुदायों को जोड़कर बड़ा वोट बैंक बनाने में जुटी है, वहीं झामुमो अपने पारंपरिक जनाधार को बचाए रखने की रणनीति पर काम कर रही है।
Key Highlights:
घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में झामुमो (JMM) और भाजपा (BJP) के बीच कांटे की टक्कर
जेएलकेएम (JLKAM) नेता जयराम महतो का प्रदर्शन बना हार-जीत का निर्णायक फैक्टर
कुम्हार समुदाय दो हिस्सों में बंटा, दोनों खेमों में बड़े नेताओं का जमावड़ा
संताली और बांग्लाभाषी वोटरों को लुभाने में दोनों दलों की पूरी ताकत झोंकी
गांव-गांव में विकास, पानी और स्वास्थ्य जैसी समस्याएं बनीं प्रमुख चुनावी मुद्दा
घाटशिला Election 2025: कुम्हार समाज में भी दिखा चुनावी विभाजन
घाटशिला में चुनावी चर्चा का बड़ा केंद्र कुम्हार समुदाय बन गया है। शहर में दो अलग-अलग कुम्हार संघों के सम्मेलन हुए
झारखंड कुम्हार संघ, जो भाजपा के समर्थन में था, के कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन पहुंचे।
वहीं, प्रांतीय कुम्हार संघ का सम्मेलन झामुमो खेमे के साथ था, जहां मंत्री सुदिव्य सोनू और विधायक समीर मोहंती मौजूद रहे।
दोनों संघों ने अपने-अपने संगठन को “असली प्रतिनिधि” बताने का दावा किया, जिससे स्पष्ट है कि यह समुदाय इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
घाटशिला Election 2025:गांवों में मुद्दे वही पुराने, चेहरे नए
घाटशिला के बानापट्टी गांव जैसे इलाकों में जातीय और आर्थिक विविधता स्पष्ट दिखती है। गांव में संताली आदिवासी, ओबीसी और संपन्न परिवारों का मिश्रण है। यहां सोहराई पेंटिंग से सजे घरों में झारखंडी संस्कृति झलकती है, लेकिन पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है।
ग्रामीण बताते हैं कि चुनावी वादों के बावजूद इन बुनियादी सुविधाओं में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। यही कारण है कि लोग अपने वोट को लेकर इस बार और भी सजग हैं।
घाटशिला Election 2025: वोट बैंक की सेंधमारी पर टिकी रणनीति
भाजपा और झामुमो दोनों अपने-अपने पारंपरिक वोट बैंक को बचाने और दूसरे के वोट में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। बूथ स्तर पर मैनेजमेंट, लोकल समुदायों से संपर्क और सोशल मीडिया प्रचार — यही इस चुनाव के असली हथियार बन गए हैं।
घाटशिला की राजनीतिक जमीन इस बार सिर्फ नेताओं की ताकत नहीं, बल्कि वोटर की सूझबूझ और स्थानीय मुद्दों पर टिके जनमत से तय होगी।
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