Chas News: एक तरफ सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कहती रही है वही दूसरी तरफ बोकारो के एक ऐसा कॉलेज जहां शिक्षकों के अभाव के चलते छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है. यह मामला बोकारो के चास कॉलेज का है. जहां न तो संस्कृत के शिक्षक हैं न बंगला, न सोशियोलॉजी और न ही खोरठा और कुड़माली के, यानी एक तरफ सरकार कुड़माली और खोरठा में झारखंड के तमाम प्रतियोगी परीक्षा को कराने की बात करती रही है.
लेकिन जिस तरह से बोकारो के चास कॉलेज में शिक्षकों की कमी देखी जा रही है. ऐसे में छात्र परेशान हैं और बिना शिक्षकों के ही कॉलेज में पढ़ने को बाध्य हैं. ऐसे में इस कॉलेज के छात्रों का कहना है कि बिना शिक्षक के हमारी पढ़ाई कैसे होगी. छात्रों की माने तो साल 1967 में शुरुआत हुए इस कॉलेज से कई नामी गिरामी लोग पढ़ के निकले हैं. इस कॉलेज से निकले कई लोग उच्च पदों पर गए हैं.
Chas News: चास कॉलेज में शिक्षकों की कमी :
वहीं आज इस कॉलेज के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा हो रहा है. इस कॉलेज में शिक्षकों के कमी के चलते कई विषयों पर शिक्षा लेने वाले छात्रों के भविष्य भी दाव पर लग रहे हैं. ऐसे में छात्रों ने कहा कि शिक्षक के कमी की शिकायत जिला प्रशासन से लेकर सरकार तक को लिखित तौर पर दी जा चुकी है. लेकिन अभी तक इस मुद्दे को लेकर किसी के तरफ से कोई समाधान नहीं किया गया है. वहीं छात्रों ने कहा कि शिक्षकों के कमी के साथ-साथ इस कॉलेज में न तो शौचालय ठीक है और न ही कोई अन्य व्यवस्था ठीक है.
छात्रों ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और राज्यपाल से अब गुहार लगाई है कि चास कॉलेज में शिक्षकों की कमी को पूरा किया जाए. वहीं कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि ये चास कॉलेज धनबाद के विनोद बिहारी विश्वविद्यालय से अंगीभूत (मान्यता प्राप्त) है. उन्होंने भी इस मुद्दे पर हामी भरी है कि शिक्षकों की भारी कमी है और इसको लेकर विश्वविद्यालय को अवगत भी कराया गया है. बोकारो से चूमन की खबर…
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