Rahul Gandhi और उनकी पार्टी कांग्रेस लगातार चुनाव आयोग पर अपना निशाना साधते हुए नजर आती है. कभी वह कहते हैं चुनाव आयोग बीजेपी के साथ मिली हुई है. कभी उनका बयान आता है कि ई.वी.एम (EVM) हैक है. अबकी बार तो उन्होंने हद ही पार कर दी. इस साल (2025) बिहार में हुए विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने वोटर लिस्ट दिखाकर सभी लोगों को बरगलाने की कोशिश की कि बीजेपी ‘वोट चोरी’ कर रही है.
वहीं बिहार चुनाव के समाप्त होने के बाद देश के 272 पूर्व शीर्ष अधिकारियों, जजों, राजनयिकों और सेना के अफसरों ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. 272 हस्तियों ने एक खुला पत्र जारी करते हुए कहा कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी कांग्रेस चुनाव आयोग सहित संवैधानिक संस्थाओं पर झूठा आरोप लगाकर उसे गलत साबित करना चाहती है और देश की संस्थाओं से जनता का भरोसा कमजोर करना चाहती है.
Rahul Gandhi पर पूर्व अफसरों ने लगाए ये आरोप
पूर्व अफसरों ने राहुल गांधी और उनकी पार्टी पर आरोप लगते हुए कहा कि कुछ विपक्षी नेता गलत बयानबाजी कर रहे हैं. साथ ही वह संस्थाओं पर बिना सबूत के आरोप लगा रहे हैं. वह जनता को झूठ बोलकर ब्रेनवॉश कर रहे हैं कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं. शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि सेना, न्यायपालिका और संसद के बाद अब कांग्रेस का निशाना चुनाव आयोग है. इन सारी बातों का जिक्र ‘Assault on National Constitutional Authorities‘ नाम के पत्र में की गई है.
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कांग्रेस और उनके NGOs भी निशाने पर
खुले पत्र में कांग्रेस पार्टी और उनके NGOs को भी निशाने पर लिया गया है. पत्र में कहा गया कि राहुल गांधी लगातार वोट चोरी वाले आरोप लगते हुए नजर आते हैं. मगर उनके पास ईद मुद्दे को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं है. वह जो भी सबूत दिखते हैं. उनको लेकर आज तक उन्होंने कोई आधिकारिक शिकायत या एफिडेविट जमा नहीं की है. पत्र में राहुल गांधी के 100% प्रूफ, एटम बम और देशद्रोह जैसे दावों को भी बिना आधार का बताया गया. वहीं अधिकारियों ने पत्र में कहा कि कांग्रेस पार्टी और उनके NGOs लगातार चुनाव आयोग को बीजेपी की बी-टीम बताती है. जबकी ईसीआई हमेशा अपने तरीके, डेटा और प्रक्रियाएं सार्वजनिक करके सभी के समक्ष रखती है.
नेताओं को बनाए रखना चाहिए लोकतांत्रिक मर्यादा
पत्र के अंतिम भाग में लिखा हुआ था कि हम सभी चाहते हैं कि चुनाव आयोग हमेशा सही से काम करता रहे और डेटा को सार्वजनिक करता रहे. यदि चुनाव आयोग को लगे कि उनपर गलत आरोप लगाए जा रहे हैं तो, जरूरत पड़ने पर कानूनी लड़ाई भी लड़े. साथ ही पत्र में इस बात का भी जिक्र था कि सभी राजनीतिक नेता बिना सबूत के आरोप लगाने की जगह नीतियों पर प्रतिस्पर्धा करें और चुनाव परिणामों को शालीनता से स्वीकार करें.
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