रांची में सभी 53 वार्डों में बनेंगे आवारा कुत्तों के फीडिंग जोन, दिसंबर से शुरू होगी व्यवस्था

Ranchi: राजधानी में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने और उनके नियमित भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए रांची म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (RMC) एक नई पहल शुरू कर रहा है। शहर के सभी 53 वार्डों में विशेष फीडिंग जोन बनाए जा रहे हैं ताकि कुत्तों को निर्धारित स्थानों पर ही भोजन मिल सके। यह पहल हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पब्लिक जगहों से आवारा जानवरों को हटाने से जुड़े आदेश के पालन के तहत शुरू की गई है।

RMC की असिस्टेंट पब्लिक हेल्थ ऑफिसर डॉ. किरण कुमारी ने बताया कि बीस फीडिंग जोन पहले ही चिन्हित किए जा चुके हैं, जबकि बाकी स्थानों पर काम तेजी से जारी है। उनके अनुसार पूरी प्रक्रिया इस महीने के भीतर पूरी कर ली जाएगी और दिसंबर से सभी जोन सक्रिय होने लगेंगे।

किस आधार पर तय हो रहे हैं फीडिंग जोन?

फीडिंग जोन चयन कई मानकों पर आधारित होगा—हर वार्ड में आवारा कुत्तों की संख्या, सक्रिय डॉग फीडर्स की मौजूदगी, उपलब्ध खुली जगह, उच्च गतिविधि वाले स्थान जहां कुत्तों का जमावड़ा अधिक होता है। डॉ. कुमारी ने बताया कि RMC हर महीने लगभग 400-500 कुत्तों का टीकाकरण और स्टेरिलाइज़ेशन कर रहा है। साथ ही, स्थिति के अधिक सटीक आकलन के लिए जल्द ही एक थर्ड-पार्टी सर्वे कराया जाएगा।

चुनौती: तय जगहों पर ही खिलाना कैसे सुनिश्चित होगा?

अधिकारी ने माना कि शुरुआत में फीडिंग को केवल तय ज़ोन तक सीमित करना चुनौतीपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि डॉग फीडर्स के अनुसार जहां नियमित फीडिंग होती है, वहां कुत्ते धीरे-धीरे स्थाई रूप से रहने लगते हैं, जिससे उम्मीद है कि कुछ समय में यह सिस्टम प्रभावी हो जाएगा।

नई शेल्टर फैसिलिटी की तैयारीः

RMC अपने मौजूदा चुटिया स्थित डॉग हॉस्पिटल को विस्तार देने की योजना बना रहा है। इसके साथ ही, पास ही 50–100 कुत्तों की क्षमता वाले नए डॉग शेल्टर के निर्माण की योजना भी तैयार है। निगम कम से कम एक एकड़ जमीन की तलाश में है ताकि बड़े स्तर पर पशु कल्याण सुविधाएं विकसित की जा सकें।

कुत्तों की आबादी पर रोक लगाने के प्रयासः

शहर में एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) और एंटी-रेबीज वैक्सीनेशन ड्राइव लगातार चल रही है। इसके तहत हर महीने 500 तक स्टेरिलाइज़ेशन और वैक्सीनेशन किए जाते हैं, जिससे आवारा कुत्तों की आबादी और संक्रमण दोनों पर नियंत्रण की कोशिश की जा रही है। RMC का मानना है कि फीडिंग ज़ोन व्यवस्था लागू होने के बाद कुत्तों की गतिविधियों में अनुशासन आएगा और आवारा कुत्तों से संबंधित शिकायतों में धीरे-धीरे कमी आएगी।

 

 

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