Wednesday, August 13, 2025

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पीएम मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में छोड़े चीते

ग्वालियर : पीएम मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में तीन चीतों को छोड़ दिया है.

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही चीतों की तस्वीरें ली. बांकि चीते पहले ही छोड़े जा चुके थे.

इन सभी चीतों को कूनो पार्क के अंदर विशेष बाड़ों में रखा गया है.

प्रधानमंत्री का विमान ग्वालियर एयरपोर्ट पर उतरा जहां उनके स्वागत के लिए

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यपाल मौजूद थे.

सभी चीतों को नामीबिया से भारत लाया गया.

आठ चीतों में से 5 मादा की उम्र 2 से 5 साल के बीच,

जबकि नर चीतों की आयु 4.5 साल से 5.5 साल के बीच है.

1952 में चीते को भारत में विलुप्त घोषित किया गया था.

कूनो नेशनल पार्क: ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट की चीतों की तस्वीरें

केंद्रीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चीतों के

भारत में लैंड होने की तस्वीरें ट्वीट की. उन्होंने लिखा,

आखिरकार, मध्य प्रदेश में चीते का आगमन! स्वागत!

दक्षिण अफ्रीका की सरकार रखेगी नजर

‘अफ्रीकन चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया’ 2009 में शुरू हुआ था.

भारत ने चीतों के आयात के लिए नामीबिया सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे.

दक्षिण अफ्रीका की सरकार और वन्यजीव विशेषज्ञ इन पर नजर रखेंगे.

चीतों में किसी तरह का कोई संक्रमण न हो इसके लिए गांवों के अन्य मवेशियों का भी टीकाकरण किया गया है. भारतीय मौसम से लेकर यहां के माहौल में ढलने में एक से तीन महीने का वक्त लग सकता है.

कूनो नेशनल पार्क: जानिये क्यों नामीबिया से मंगवाए गए चीते?

हिमालय वाला इलाका छोड़ दिया जाए तो कोई ऐसी जगह नहीं थी जहां भारत में चीते ना पाए गए हों. ईरान अफगानिस्तान में तो अभी भी एशियाई चीते पाए जाते हैं. साउथ अफ्रीका के नामीबिया से चीते इसलिए आ रहे हैं क्योंकि वहां दिन और रात की लंबाई ठीक वैसी ही होती है जैसी कि हिंदुस्तान में है और यहां का तापमान भी अफ्रीका से मिलता जुलता है.

चीतों के लिए मुफीद जगह है कूनो नेशनल पार्क

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक रहता है जबकि न्यूनतम तापमान 6 से 7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है, जो चीतों के लिए मुफीद है. विंध्याचल पर्वत श्रृंखला पर बसा मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क एमपी के श्योपुर और मुरैना जिले में पड़ता है. साल 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था.

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