गोपालगंजः उचकागांव थाना क्षेत्र के सतकोठवा गाँव मे एक वृद्ध को उसके ही पुत्र व पत्नी ने सम्पति के लालच में घर से निकाल दिया है। फिलहला वृद्ध मस्जिद में रहकर जीवन गुजारने को मजबूर है। वृद्ध ने सुरक्षा और न्याय के लिए एसपी के दरबार में न्याय की गुहार लगाई है।
कहा जाता है कि एक पुत्र कुपुत्र हो सकता है। लेकिन एक पत्नी, जिसे जीवन संगीनी की उपमा दी गई है, उससे से तो जीवन के अंतिम क्षण तक साथ देने की आशा की ही जाती है। पर यहां तो एक लाचार वृद्ध अपनी जीवन संगनी और अपना खून अपने पुत्र से ही भयभीत है।
दर-दर की ठोकरें खाता वृद्ध ने एक अंतिम आशा के रुप में जिले के पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार से न्याय की गुहार लगाई है।
बेटों की परवरिश के लिए एक मुल्क से दूसरे मुल्क भटकता रहा नसरुद्दीन
बताया जाता है कि सतकोठवा गाँव निवासी स्व. सफिउल्ला अंसारी के पुत्र अहमद उर्फ नसरुद्दीन अंसारी अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए कड़ी मेहनत की। विदेश में 40 साल तक नौकरी की। जब वह 2018 में अपने घर लौटा तो पत्नी सैनू खातून और पुत्र ने भरपूर स्वागत किया, आज भी वृद्ध उस स्वागत को भूला नहीं पा रहा है।
लेकिन जीवन के इस मोड़ पर अब वह न्याय के एक टेबल से दूसरे टेबल पर भटकता नजर आ रहा है। वृदध नसरूदीन के पांच पुत्र है, जी तोड़ मेहनत कर उसने सभी पुत्रों को पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाया।
लेकिन आज उसे ही घर से बेदखल होना पड़ा जिस पत्नी और परिवार की खुशियों के लिए, बेटे की परवरिश घर से सात समंदर दूर एक मुल्क से दूसरे मुल्क भटकता रहा।
और जब वतन लौटा तो सब कुछ उसके हाथ से निकल चुका था। कुछ दिन तो ठीक चला, लेकिन जल्द ही नसरूदीन के साथ मारपीट होने लगी, पैसे की मांग किये जाने लगी, मानसिक और शरीरिक रुप से उत्पीड़ित किया जाने लगा। और यह सब कोई और नहीं, बल्कि उसके ही खून और जीवन संगीनी द्वारा किया गया।
हद तो तब हो गई जब वर्ष 2019 में उसके खाने में जहर डाल कर हत्या की कोशिश की गयी, गनीमत रही कि उसने वह खाना खाया नहीं बल्कि एक बकरी को खिला दिया। थोड़ी ही देर में बकरी ने दम तोड़ दिया।
जब वह इस वार से बच निकला तो उसे घर से निकाल दिया गया। आखिरकार नसरूदीन ने जीवन गुजारने की आश में गांव के मस्जिद में शरण ले ली। कुछ दिनों तक गांव वालों ने खाना खिलाया, बाद में छोटा भाई आगे आया और खाना-पीना देना शुरु किया।
खाने में जहर देकर मारने की कोशिश की गई
लेकिन नसरुद्दीन की पत्नी और पुत्रों उसके भाई को भी एक झूठा मामले में फंसा दिया। अभी नसरुद्दीन का छोटा भाई जेल में बन्द है। उसका गुनाह मात्र इतना है कि उसने अपने लाचार भाई की मदद की कोशिश की थी।
नसरुद्दीन कहता है कि पत्नी और पुत्र चाहते है कि मैं अपनी सारी संपति उनके नाम लिख दूं। सवाल तो यह है कि जब संपति मेरे नाम है तब तो दो जुन की रोटी नहीं दी गई और जब सारी संपति उनके नाम कर दूंगा तब मेरी क्या हालत होगी।
रिपोर्टःआशुतोष तिवारी