वाराणसी : वाराणसी….सिर्फ नाम सुनते ही सुकुन का अहसास होता है.देव भूमि के नाम से जाना जाने वाला यह स्थल काशी नगरी के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि वाराणसी के हर घर में कोई न कोई देवता जरूर वास करते हैं. बाबा विश्वनाथ मंदिर का ये शहर भगवान शिव को समर्पित है. वाराणसी शहर को काशी के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है.

महादेव की नगरी तमाम भागदौड़ से दूर अपनी अलग ही मस्ती में जीती है. अगर बात की जाए गंगा घाट की तो मान्यता है कि मात्र डुबकी लगाने से ही पाप धुल जाते है. वहां की गलियों से लेकर गंगा घाटों और उन घाटों पर होने वाली सुबह-शाम की आरती, सबकुछ एकदम अगल और अनोखा है.

बनारस का जिक्र हो और घाटों का जिक्र ना हो, ऐसा हो नही सकता है. अस्सी घाट, मनिकर्णिका घाट, ललिता घाट,हरिश्चन्द्र घाट, रीवा घाट और गणेश घाट की खुबसुरती अपनी ओर आकर्षित करती है. अस्सी घाट सिर्फ घूमने के लिए ही नही हीं हैं बल्कि पूरी सदी को जीने के लिए जाना जाता है. दशाश्वमेघ घाट की शाम की आरती भजन में डुबोने वाला है.

बनारस की गलियों में हाथ से की गई कारीगरी, लकड़ी से बनी आकर्षक प्रतिमा मन मोह लेती. इन मुर्तियों में बनारस अपनी विरासत लिए जीता है.

हालांकि करोना काल में बनारस आने वाले श्रद्धालुओं में थोड़ी कमी जरूर आई है. बावजूद इसके उत्तर प्रदेश सरकार ने यहां के मंदिरों को खोल दिया है। कोरोना मानकों के साथ श्रद्धालुओं को बाबा विश्वनाथ के दर्शन की अनुमति दी गयी है.
साभार : कुमुद मंजु रंजन
पिस्का मोड़ के विश्वनाथ मंदिर में ‘काशी विश्वनाथ कॉरिडोर’ का हुआ सीधा प्रसारण

