पटना: राज्य में 65 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को हाई कोर्ट के द्वारा रद्द कर दिए जाने के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बिहार सरकार ने वकील मनीष सिंह के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। बिहार में जातीय गणना के बाद जदयू-राजद की सरकार ने राज्य में सरकारी नौकरी तथा शिक्षण संस्थानों में पिछड़े वर्ग, दलित और आदिवासियों के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ा कर 65 प्रतिशत कर दिया था।
आरक्षण में वृद्धि के खिलाफ कुछ लोगों ने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसके बाद हाई कोर्ट में लंबी सुनवाई के बाद मार्च में फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे हाई कोर्ट ने जून में सुनाया। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद सीएम नीतीश की अगुवाई वाली सरकार के द्वारा पारित आरक्षण को रद्द कर दिया था।
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