भोजपुर: बिहार में चुनाव आयोग के द्वारा गहन मतदाता पुनरीक्षण का विपक्ष राज्य स्तर पर विरोध कर रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को भोजपुर में छात्र संगठन AISA- RYA ने विरोध मार्च निकाला। विरोध मार्च आरा में स्थित भाकपा माले पार्टी कार्यालय से निकल कर रेलवे परिसर तक पहुंचा जहां सभा में तब्दील हो गया। सभा का संचालन RYA जिला सह सचिव विशाल कुमार ने किया।
सभा को संबोधित करते हुए RYA राज्य सचिव सह अगिआंव विधायक शिवप्रकाश रंजन ने कहा कि बिहार में चुनाव आयोग द्वारा जारी विशेष सघन मतदाता पुनरीक्षण यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि संविधान और मताधिकार की रक्षा के लिए नौजवानों की निर्णायक हस्तक्षेप है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह पूरी प्रक्रिया नए युवा वोटर, गरीब, दलित, मजदूर, प्रवासी और वंचित तबकों को मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश है और इसका सीधा लाभ सत्ताधारी भाजपा-जदयू गठबंधन को पहुंचाना है।
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जिस राज्य में जन्म प्रमाण पत्र सिर्फ 2.8 प्रतिशत लोगों के पास हो, वहां करोड़ों मतदाताओं से पासपोर्ट, जमीन के कागज, एनआरसी जैसी दुर्लभ और अपवर्गीय दस्तावेज मांगना एक तरह की वोटबंदी है। उन्होंने कहा कि यह पूरा अभियान मतदाता सूची के सामान्य सुधार की आड़ में नागरिकता साबित करने की नई व्यवस्था थोपने जैसा है, जिसकी न तो कोई संवैधानिक वैधता है, न ही लोकतांत्रिक आधार। यह लोकतंत्र को कमजोर करने और संविधान के सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की भावना को कुचलने की कोशिश है।
AISA जिला सचिव विकास कुमार ने कहा कि जब आधार, राशन कार्ड, मनरेगा कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज सरकारी योजनाओं और पहचान के लिए मान्य हैं, तो उन्हें मतदाता प्रमाण के तौर पर क्यों खारिज किया जा रहा है। भाजपा पिछले वर्ष जो लोकसभा का चुनाव से जीत दर्ज कर मोदी सरकार चल रही है जब ये अवैध नहीं तो बिहार की मतदाता अवैध कैसे हो गई।
बिहार में करीब 8 करोड़ मतदाता हैं जिनमें से करीब 2से 3 करोड़ मतदाता मजदूरी करने दूसरे राज्य में गए हैं इन लोगों को मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश है भाजपा और नीतीश सरकार को। वहीं AISA जिला सहसचिव ने कहा कि बिहार का ही मामला नहीं, बल्कि पूरे देश के मतदाताओं के भविष्य का सवाल है और अगर आज चुप रहे तो कल हर राज्य में गरीबों और वंचितों के वोट छीने जाएंगे।
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हमारी संविधान की यही खूबसूरती थी कि देश का गरीब हो या अमीर, दलित- पिछड़ा हो या स्वर्ण, देश का राष्ट्रपति हो या या किसान, मजदूर, भूमिहीन या सफाईकर्मी सबको अंबेडर साहब ने एक वोट का अधिकार दिया था। इस वोट का अधिकार को छीनकर कर पिछड़ों, दलितों के बढ़ते दावेदारी को कुचलना चाहती है। वोट का अधिकार मतलब गरीब का राज्य। इस राज को खत्म करना चाहती है। 12 दिनों के मतदाता पुनरीक्षण में सिर्फ 14% ही कर पाया है। बाकी 18 दिनों में 86% मतदाताओं का पुनरीक्षण कैसे संभव है मोदी और नीतीश सरकार को बताना होगा।
इसके खिलाफ में 9 जुलाई को पूरे बिहार का चक्का जाम किया जाएगा। इस आक्रोश मार्च में शामिल थे RYA जिलाध्यक्ष निरंजन केसरी, सहसचिव अखिलेश गुप्ता, अप्पू यादव, पंकज कुशवाहा, मनीष यादव, धीरेन्द्र आर्यन, संजय साजन, रंजीत, नागेंद्र, अमित यादव, भोली पासवान, रितेश पासवान, गौतम यादव, विवेक कुमार, विराट यादव, नीलू, मृत्युंजय, नीलू भोला राम, जितेंद्र चौधरी, रोहित चौधरी, बूटी चौधरी, संजीत, बिट्टू, अर्जुन सहित दर्जनों छात्र नौजवान शामिल थे।
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भोजपुर से नेहा की रिपोर्ट